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प्रदेश का पहला अस्पताल बना डेरवा पीएचसी, जानिए क्‍या होता है ये एन्क्वास प्रमाण-पत्र 

गोरखपुर के दक्षिणांचल के सुदूर गांव में स्थित डेरवा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र(पीएचसी) को एन्क्वास प्रमाण पत्र मिल गया है। नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस फार सर्टिफिकेशन(एन्क्वास प्रमाण-पत्र) पाने वाली यह...

प्रदेश का पहला अस्पताल बना डेरवा पीएचसी, जानिए क्‍या होता है ये एन्क्वास प्रमाण-पत्र 
हिन्‍दुस्‍तान टीम ,गोरखपुर Wed, 09 Oct 2019 10:24 PM
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गोरखपुर के दक्षिणांचल के सुदूर गांव में स्थित डेरवा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र(पीएचसी) को एन्क्वास प्रमाण पत्र मिल गया है। नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस फार सर्टिफिकेशन(एन्क्वास प्रमाण-पत्र) पाने वाली यह प्रदेश का पहला अस्पताल है। अगस्त में केन्द्रीय टीम ने इसका निरीक्षण किया था। परिणाम अब जारी हुआ है। 

शहर से करीब 64 किलोमीटर दूर दक्षिणांचल में स्थित 10 बेड का यह अस्पताल महानगर के निजी अस्पतालों को मात देता है। सेंट्रलाइज्ड ऑक्सीजन प्लांट वाले 10 बेड की इस पीएचसी में इलाज की सभी मूलभूत सुविधाएं मौजूद हैं। इस पीएचसी में ईटीसी वार्ड, जेएसवाई वार्ड, इमरजेंसी वार्ड, लेबर रूम, न्यू बार्न केयर यूनिट, आयुष ओपीडी, एलोपैथिक ओपीडी, नेत्र परीक्षण केंद्र, इमरजेंसी वार्ड, लैब, फार्मेसी कार्नर संचालित हो रहे हैं। इस स्वास्थ्य केन्द्र में रोजाना 300 मरीज ओपीडी में इलाज करने आते हैं। यह पीएचसी पूरी तरह से कंप्यूटराईज्ड है। पीएचसी में दो एम्बुलेंस के साथ उद्घोषणा केन्द्र भी बना है।

पीएचसी में है हर्बल गार्डन
 इस पीएचसी में एलोपैथिक चिकित्सा के साथ ही प्राकृतिक चिकित्सा मानकों का ख्याल रखा गया है। इसमें आयुष की ओपीडी संचालित हो रही है। पूर्वी यूपी की यह एकमात्र पीएचसी है जिसमें हर्बल गार्डन बना है। जिसमें मदार, घृतकुमारी सहित दर्जनों प्रकार के औषधीय पौधे अस्पताल में लगाए गए हैं।

1998 की बाढ़ में डूब गई थी यह पीएचसी
दक्षिणांचल के अंतिम छोर पर 206 गांव के तीन लाख की आबादी के बीच यह पीएचसी स्थित है। वर्ष 1998 में सरयू नदी की बाढ़ में यह पीएचसी डूब गई थी। बाढ़ के कारण पीएचसी तक जाने वाला मार्ग कट गया। भवन का एक हिस्सा ढह गया। कुछ साल तक पीएचसी उपेक्षित रही। बीते सात वर्षों से पीएचसी के उत्थान की कोशिश हुई। सूबे में सीएम योगी आदित्यनाथ के बनने के बाद काम तेज गति से हुआ। सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी, एडिशनल सीएमओ डॉ. नंद कुमार, नोडल अधिकारी डॉ.एनके पाण्डेय व क्वालिटी एश्योरेंस मैनेजर डॉ. मुस्तफा ने एन्क्वास के लक्ष्य को लेकर पीएचसी को सुदृढ़ किया। इस पीएचसी में बेड की संख्या चार से बढ़ाकर 10 कर दी गई हे। केन्द्र सरकार के 14 राष्ट्रीय कार्यक्रमों का संचालन पीएचसी में हो रहा हैं।

1500 बिन्दुओं पर हुई जांच
इस वर्ष सूबे की कायाकल्प टीम ने इसे पीएचसी कैटेगरी में पहला स्थान दिया है। इसके बाद प्रदेश सरकार ने इस पीएचसी को एन्क्वास के लिए नामित किया। बीते 6 व 7 अगस्त को केन्द्रीय टीम ने निरीक्षण किया। इस टीम ने दो दिन तक 1500 मानकों पर पीएचसी को आंका। हर मानक के लिए दो अंक निर्धारित रहे। इसमें इलाज की सुविधा, स्वच्छता के पैमाने व अनुपालन, पर्यावरण-संरक्षण, जन सहयोग, सुविधाओं और संसाधनों के मानकों की जांच करेगी। इस जांच में 75 फीसदी से अधिक अंक प्राप्त करना था। 

डेरवा को मिले 84.6 फीसदी अंक
केन्द्रीय टीम की रिपोर्ट जारी हो गई है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अपर सचिव व मिशन निदेशक मनोज झालानी ने एन्क्वास प्रमाण-पत्र जारी करने का आदेश दिया। सूबे के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य डॉ. देवेश चतुर्वेदी को लिखे पत्र उन्होंने बताया कि निरीक्षण के दौरान डेरवा पीएचसी को 84.6 फीसदी अंक मिले हैं। पीएचसी ने एन्क्वास के सभी मानकों को पूरा किया है। 
 

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