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निजी अस्पतालों को मात दे रही है डेरवा पीएचसी

जिले के दक्षिणांचल के सुदूर गांव में स्थित डेरवा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र(पीएचसी) महानगर के निजी अस्पतालों को मात दे रही है। यह जानकार हैरान न हों। सेंट्रलाइज्ड ऑक्सीजन सिस्टम वाली इस पीएचसी में...

निजी अस्पतालों को मात दे रही है डेरवा पीएचसी
हिन्दुस्तान टीम,गोरखपुरTue, 06 Aug 2019 02:56 AM
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जिले के दक्षिणांचल के सुदूर गांव में स्थित डेरवा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र(पीएचसी) महानगर के निजी अस्पतालों को मात दे रही है। यह जानकार हैरान न हों। सेंट्रलाइज्ड ऑक्सीजन सिस्टम वाली इस पीएचसी में इलाज की सभी मूलभूत सुविधाएं मौजूद हैं। सूबे की कायाकल्प टीम ने इसे पीएचसी कैटेगरी में पहला स्थान दिया है।

प्रदेश सरकार द्वारा कायाकल्प अवार्ड में सूबे में पहला स्थान पाने वाली इस पीएचसी की जांच केन्द्रीय टीम मंगलवार को करेगी। केन्द्रीय टीम दो दिन पीएचसी में रहेगी। इस दौरान वह इलाज, स्वच्छता, पर्यावरण, जन सहयोग, सुविधाओं और संसाधनों के मानकों की जांच करेगी। इस जांच में 70 फीसदी से अधिक अंक मिलने पर केन्द्र सरकार एन्क्वास प्रमाण-पत्र देगा।

जिले के दक्षिणाचंल में 64 किलो मीटर दूर स्थित प्रदेश में डेरवा अस्पताल ही एक मात्र ऐसा सरकारी अस्पताल है जहां सेन्ट्रलाइज आक्सीजन प्लांट लगा हैं। भर्ती मरीज को ऑक्सीजन के लिए सभी 10 बेड तक पाइप लाइन बिछी है। इस स्वास्थ्य केन्द्र में रोजाना 300 मरीज ओपीडी में इलाज करने आते हैं। यह पीएचसी पूरी तरह से कंप्यूटराईज्ड है।

पीएचसी में है हर्बल गार्डन: इस पीएचसी में एलोपैथिक चिकित्सा के साथ ही प्राकृतिक चिकित्सा मानकों का ख्याल रखा गया है। इसमें आयुष की ओपीडी संचालित हो रही है। पूर्वी यूपी की यह एकमात्र पीएचसी है जिसमें हर्बल गार्डन बना है। जिसमें मदार, घृतकुमारी सहित दर्जनों प्रकार के औषधीय पौधे अस्पताल में लगाए गए हैं।

1998 की बाढ़ में डूब गई थी यह पीएचसी: वर्ष 1998 में सरयू नदी की बाढ़ में यह पीएचसी डूब गई थी। बाढ़ के कारण पीएचसी तक जाने वाला मार्ग कट गया। भवन का एक हिस्सा ढह गया। कुछ साल तक पीएचसी उपेक्षित रही।

पांच साल से संजीदा हुआ महकमा: दक्षिणांचल के अंतिम छोर पर 206 गांव के तीन लाख की आबादी के बीच यह पीएचसी स्थित है। बीते आठ सालों में इस पीएचसी के उत्थान को लेकर स्वास्थ्य विभाग संजीदा हुआ। सूबे में सीएम योगी आदित्यनाथ के बनने के बाद काम तेज गति से हुआ। नोडल अधिकारी डॉ.एनके पाण्डेय व क्वालिटी एश्योरेंस मैनेजर डॉ. मुस्तफा के साथ मिलकर केन्द्र के कायाकल्प योजना का काम शुरू किया। इस पीएचसी में बेड की संख्या चार से बढ़ाकर 10 कर दी गई हे। केन्द्र सरकार के 14 राष्ट्रीय कार्यक्रमों का संचालन पीएचसी में हो रहा हैं। पूर्व ब्लाक प्रमुख राजबहादुर सिंह कहते है कि अब तो ज्यादातर बीमारियों का इलाज गांव में हो रहा है।

मिलती है यह सुविधाएं: इस पीएचसी में ईटीसी वार्ड, जेएसवाई वार्ड, इमरजेंसी वार्ड, लेबर रूम, न्यू बार्न केयर यूनिट, आयुष ओपीडी, एलोपैथिक ओपीडी, नेत्र परीक्षण केंद्र, इमरजेंसी वार्ड, लैब, फार्मेसी कार्नर संचालित हो रहे हैं। पीएचसी में दो एम्बुलेंस के साथ उद्घोषणा केन्द्र भी बना है।

बोले सीएमओ

पीएचसी में सुधार के लिए 10 ओपीडी और 10 भर्ती मरीजों का फीडबैक रोजाना लिया जाता है। उम्मीद है कि हम पीएचसी एन्क्वास के मानकों पर खरी उतरेगी।

डॉ. श्रीकांत तिवारी, सीएमओ

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