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घने कोहरे को भी चीर देगा ‘त्रिनेत्र’, नहीं थमेगी ट्रेनों की रफ्तार

कोहरे की वजह से ट्रेनों की लेटलतीफी और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे ‘त्रिनेत्र’ का सहारा लेगा। दरअसल, कोहरे में कुशल रेल संचालन के लिए ट्रेनों में एंटी फॉग डिवाइस लगाया जाएगा, जिसका...

 घने कोहरे को भी चीर देगा ‘त्रिनेत्र’, नहीं थमेगी ट्रेनों की रफ्तार
आशीष श्रीवास्तव,गोरखपुरSun, 02 Dec 2018 02:00 PM
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कोहरे की वजह से ट्रेनों की लेटलतीफी और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे ‘त्रिनेत्र’ का सहारा लेगा। दरअसल, कोहरे में कुशल रेल संचालन के लिए ट्रेनों में एंटी फॉग डिवाइस लगाया जाएगा, जिसका नाम ‘त्रिनेत्र’ रखा गया है। उत्तर रेलवे, उत्तर मध्य रेलवे और पूर्वोत्तर रेलवे की प्रमुख ट्रेनों में इसे लगाने की योजना है। हालांकि अभी उत्तर रेलवे में इस डिवाइस को लेकर ट्रायल चल रहा है। त्रिनेत्र घने से घने कोहरे में भी चालक दो किलोमीटर दूर तक आसानी से देख सकेगा। 

उत्तर रेलवे में चल रहा है ट्रायल
ट्रायल पूरा होते ही इंजनों में लगाई जाएगी डिवाइस
ट्रायल पूरा हो जाने के बाद एनईआर के इंजनों में भी लगेगी डिवाइस
जीपीएस और लेजर तकनीक से डिवाइस को किया गया विकसित
घने कोहरे में भी दो किमी दूर तक साफ देख सकेगा ट्रेन का चालक

वर्तमान समय में अगर घना कोहरा हो जाएगा चालक सिग्नल नहीं देख पाता। इसके लिए कई ट्रेनों को निरस्त कर दिया जाता है तो कई ट्रेनों 50 घंटे तक लेट हो जाती हैं। इस नए सिस्टम के तहत इंजन के आगे उच्च क्षमता वाला एक सीसीटीवी कैमरा और लेजर आधारित इंफ्रा रेड कैमरा लगाया लगाया जाएगा। साथ ही राडार आधारित मैपिंग सिस्टम भी इस डिवाइस में होगा। इसकी मदद से इंजन के आगे की पटरी के हिस्से की इमेज ड्राइवर को मॉनिटर में दिखाई देगी। इससे ड्राइवर ट्रेन की स्पीड को कम या बढ़ा सकेंगे। इस डिवाइस को लगाने का खर्च प्रति इंजन डेढ़ करोड़ रुपये के आसपास है। 

लखनऊ मेल में किया चुका है त्रिनेत्र का परीक्षण
हर साल कोहरे के कहर से कैंसिल होने वाली ट्रेनों और देर होने वाली ट्रेनों की वजह से उत्तर भारत में करोड़ों यात्री प्रभावित होते हैं. इससे रेलवे को सैकड़ों करोड़ रुपये का सालाना नुकसान उठाना पड़ता है. इसको देखते हुए रेलवे ने रडार आधारित इंफ्रा-रेड और हाई रिजॉल्यूशन वाले कैमरों के इनपुट से लैस त्रिनेत्र सिस्टम का घने कोहरे में इसी साल जनवरी में सफल परीक्षण किया था. ये परीक्षण लखनऊ और नई दिल्ली रेलमार्ग पर लखनऊ मेल में डेढ़ साल पहले किया जा चुका है।  
इजराइल की कंपनी ने की थी मदद
ये परीक्षण इजरायल की एक कंपनी के साथ मिल कर किया गया था। सूत्रों के अनुसार पहले चरण में 100 प्रमुख ट्रेनों में इस डिवाइस को लगाया जाएगा। 
क्या है त्रिनेत्र और कैसे करता है काम
1. राडार के जरिए त्रिनेत्र को अपने सामने और आसपास मौजूद किसी भी तरह की वस्तु या जानवर, आदमी, पेड़ पौथे के बारे में घने कोहरे में भी जानकारी मिल जाती है।
2. डॉप्लर तकनीक पर काम करने वाले रडार सिस्टम से उस वस्तु के गतिशील होने या स्थिर होने का भी पता चलता है।
3. कोहरे को भेदकर इंफ्रा-रेड के जरिए ये खास कैमरा किसी वस्तु के जीव जंतु होने या निर्जीव होने की भी जानकारी देता है।
4.तीसरी तकनीक जिसका इस्तेमाल त्रिनेत्र में होता है वो है हाई-रिजॉल्यूशन ट्रेन कैमरा। इन सभी से मिलकर हाई पॉवर इमेज स्क्रीन पर आ जाती है।

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