दिल्ली से नेपाल तक फैला है नशीली दवाओं का कारोबार
नशे व मानसिक रोगियों के इलाज में प्रयोग की जाने वाली डायजापाम, अल्प्राजोलेम, नूफेन, प्रोमेथाजिन, खांसी का ड्राई कफ सिरप, जीरॉक्स, पेन्सिडन, टौरेक्स, बैनाड्रिल, मैनटेक्स, पिराइटिल, एलफैक्स, कोडिन,...
नशे व मानसिक रोगियों के इलाज में प्रयोग की जाने वाली डायजापाम, अल्प्राजोलेम, नूफेन, प्रोमेथाजिन, खांसी का ड्राई कफ सिरप, जीरॉक्स, पेन्सिडन, टौरेक्स, बैनाड्रिल, मैनटेक्स, पिराइटिल, एलफैक्स, कोडिन, नोविकोव सहित मानसिक रोगियों को दी जाने वाली नींद की गोली समेत अन्य दवाइयों का नशे के रूप में प्रयोग हो रहा है।
नशीली दवाओं की तस्करी के मामले में पुलिस, एसएसबी और नार्कोटिक्स विभाग के साथ ही खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग भी जांच में जुटा है। पकड़े गए तस्करों से मिली जानकारी के आधार पर सूबे की सभी बड़ी थोक दवा मंडियों के रिकार्ड खंगाले गए। कहीं से कोई सुराग नहीं मिला। इसकी तस्दीक ड्रग इंस्पेक्टर संदीप चौधरी ने की। उन्होंने आशंका जताई कि दवाओं की तस्करी बिहार या दिल्ली से हो सकती है। कोई सटीक सुराग नहीं मिल पा रहा है। अब तक जो पकड़े गए वह सभी बिचौलिये हैं।
रोजाना 20 लाख का है कारोबार
महानगर के भालोटिया मार्केट में नार्कोटिक्स दवाओं का लंबा कारोबार होता है। नार्कोटिक्स में सूचीबद्ध ज्यादातर दवाएं दर्द निवारक, मानसिक रोग और ऑपरेशन के दौरान प्रयोग की जाती है। ड्रगिस्ट एंड केमिस्ट एसोसिएशन के महासचिव दिलीप सिंह ने बताया कि जिले में करीब 500 नर्सिंग होम और 2600 फुटकर दवा की दुकाने हैं। इनसे रोजाना करीब 20 लाख रुपए के नार्कोटिक्स दवाओं की खपत होती है। अधिकांश दुकानदार चिकित्सकों के पर्चे पर ही दवाएं मरीजों को देते हैं।