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डीडीयूूू: नई भर्ती के नियमों को लेकर खफा हैं शिक्षक, यूजीसी के सामने उठाया ये मामला

शिक्षक भर्ती सम्बन्धी यूजीसी के नए प्रावधानों में विसंगतियों को लेकर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विवि शैक्षिक महासंघ ने अब सीधे आयोग के समक्ष यह मुद्दा उठाया  है। शैक्षिक महासंघ व प्रज्ञा प्रवाह...

डीडीयूूू: नई भर्ती के नियमों को लेकर खफा हैं शिक्षक, यूजीसी के सामने उठाया ये मामला
मिथिलेश द्विवेदी,गोरखपुरThu, 18 Jan 2018 05:04 PM
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शिक्षक भर्ती सम्बन्धी यूजीसी के नए प्रावधानों में विसंगतियों को लेकर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विवि शैक्षिक महासंघ ने अब सीधे आयोग के समक्ष यह मुद्दा उठाया  है।

शैक्षिक महासंघ व प्रज्ञा प्रवाह ने यूजीसी चेयरमैन से मुलाकात कर उठाया भेदभाव का मुद्दा

महासंघ में उच्च शिक्षा के राष्ट्रीय प्रभारी महेन्द्र कुमार तथा प्रज्ञा प्रवाह के डॉ. कौस्तुभ नारायण मिश्र के साथ इकाई अध्यक्ष प्रो. विजय कुमार तथा डॉ. आमोद कुमार राय ने आयोग के चेयरमैन प्रो. डीपी सिंह से भेंट की। इस दौरान उच्च शिक्षा से जुड़े अनेक विषयों पर  चर्चा के साथ-साथ एसोसिएट प्रोफेसर के लिए निर्धारित शोध कराने की अनिवार्यता सम्बन्धी अर्हता को लेकर चर्चा हुई। लोगों द्वारा उसकी गलत व्याख्या करने और उसमें आवश्यक संशोधन पर तथ्य और तर्क सहित उनका ध्यान आकृष्ट कराया गया।

महासंघ की विवि इकाई के अध्यक्ष प्रो. विजय कुमार तथा मंत्री डॉ. आमोद कुमार राय ने बताया कि प्रो. सिंह ने विसंगति को प्रथम दृष्टया स्वीकार किया और यथोचित  परिवर्तन का आश्वासन भी दिया। प्रो. कुमार तथा डॉ. राय के मुताबिक यूजीसी रेगुलेशन 2010 में नितांत अतार्किक एवं षड्यंत्रकारी विनियम बनाये गए।

एक तरफ प्रोफेसर पद के लिए बनाई गई अर्हता में शोध निर्देशन को अनिवार्य नहीं किया गया है वहीं सहायक आचार्य अर्थात एसोसिएट प्रोफेसर के लिए इसे सामान्य अर्हताओं में छिपा कर प्रस्तुत कर दिया गया है। देश भर में 95 फीसदी से अधिक महाविद्यालयी शिक्षकों को शोध निर्देशन का अधिकार नहीं दिया गया है और विश्वविद्यालय में नियुक्ति के समय उनसे शोध निर्देशन की अपेक्षा रखी जा रही है।

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