नोबेल विजेता जॉन गुडइनफ के साथ जुड़ा है डीडीयू का नाम
लीथियम ऑयन बैटरी के विकास के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वाले वैज्ञानिक प्रो. जॉन बी गुडइनफ के साथ दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) का भी नाम जुड़ा है। यहां भौतिकी विभाग के असिस्टेंट...
लीथियम ऑयन बैटरी के विकास के लिए नोबेल पुरस्कार पाने वाले वैज्ञानिक प्रो. जॉन बी गुडइनफ के साथ दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) का भी नाम जुड़ा है। यहां भौतिकी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रशांत शाही ने उनके साथ चाइना में काम किया था। अगस्त 2018 में इससे संबंधित रिसर्च पेपर भी प्रकाशित हुआ था, जिसमें प्रो. गुडइनफ के साथ डॉ. प्रशांत और गोरखपुर विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग का जिक्र है।
डॉ. प्रशांत शाही गोरखपुर शहर के बिलंदपुर के निवासी हैं। उन्होंने डीडीयू से 2008 में भौतिकी में एमएससी किया। इसके बाद वह पीएचडी करने आईआईटी बीएचयू चले गए। 2015 में उन्होंने मैग्नेटिक मटेरियल्स पर रिसर्च पूरी की। थर्मोइलेक्ट्रिकल एनर्जी भी इसी का हिस्सा था। इस विषय में पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च के लिए उन्हें इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स, एकेडमी ऑफ चाइना से ऑफर मिला तो वह 2016 में वहां चले गए। इसके लिए उन्हें चाइना की प्रतिष्ठित प्रेसिडेंशियल फेलोशिप मिली थी। वहां उन्हें गाइड के रूप में प्रो. जिजुआंग चेंग मिले, जो प्रो. जॉन बी गुडइनफ के शिष्य रह चुके हैं। प्रो. चेंग ने दुनियाभर के चुनिंदा वैज्ञानिकों को अपनी टीम में जोड़ रखा था। इसमें प्रो. गुडइनफ भी एक सदस्य थे। डॉ. शाही ने चाइना में सबसे अंत में ब्लैक फॉस्फोरस की स्टडी की। इसमें प्रो. जॉन बी गुडइनफ का विशेष योगदान था। अगस्त 2018 में इससे संबंधित रिसर्च पेपर यूएसए की प्रतिष्ठित जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुई है।
रिसर्च पेपर में डीडीयू का भी उल्लेख
डॉ. प्रशांत फरवरी 2018 तक चाइना में रहे और उसके बाद जापान की यूनिवर्सिटी ऑफ टोकियो चले गए। उसी साल जुलाई में उनकी नियुक्ति डीडीयू के भौतिकी विभाग में हो गई। रिसर्च उसके बाद प्रकाशित हुआ। इसमें डॉ. शाही के साथ डीडीयू के भौतिकी विभाग का भी उल्लेख है।
प्रो. जॉन गुडइनफ ने मुझे बहुत कुछ सिखाया
डॉ.प्रशांत बताते हैं कि चाइना में साथ काम के दौरान उन्होंने मुझे बहुत कुछ सिखाया। मेरा सौभाग्य है कि मैंने उनके साथ काम किया और उनके शिष्य चाइना के प्रो. जिजुआंग चेंग के निर्देशन में दो साल तक रिसर्च की। डॉ. शाही बताते हैं कि प्रो. गुडइनफ से फोन पर बातचीत व ई मेल तथा अन्य माध्यमों से चैटिंग होती थी। वह अमेरिका में रहते थे और उम्र अधिक होने के बाद भी वह पूरी तरह सक्रिय थे। रिसर्च पेपर का अधिकांश हिस्सा उनके जिम्मे था, जिसे सबसे तेज काम कर उन्होंने पूरा कर दिया।
प्रो. जॉन बी गुडइनफ
इस साल रसायन विज्ञान के क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार लीथियम ऑयन बैटरी का विकास करने के लिए तीन वैज्ञानिकों को संयुक्त रूप से मिला है। इसमें अमेरिका के प्रो. जॉन बी गुडइनफ भी शामिल हैं। उन्होंने 1957 में ही इसका कॉन्सेप्ट दे दिया था। वह सबसे लंबे समय तक इस क्षेत्र में काम करने वाले दुनिया के इकलौते वैज्ञानिक हैं। इस समय उनकी उम्र करीब 97 वर्ष है।