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ई-पॉस मशीनों की कनेक्टिविटी की दिक्कत से जूझ रहे कोटेदार

शहर के बाद 5 नवंबर से ग्रामीण क्षेत्रों में भी ई-पॉस मशीनों से जिला पूर्ति अधिकारी कार्यालय ने सरकारी दुकानों से कोटेदारों राशन का वितरण शुरू हो गया है। लेकिन कोटेदारा ई-पॉस मशीनों के संचालन और सर्वर...

ई-पॉस मशीनों की कनेक्टिविटी की दिक्कत से जूझ रहे कोटेदार
हिन्दुस्तान टीम,गोरखपुरFri, 09 Nov 2018 06:35 PM
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शहर के बाद 5 नवंबर से ग्रामीण क्षेत्रों में भी ई-पॉस मशीनों से जिला पूर्ति अधिकारी कार्यालय ने सरकारी दुकानों से कोटेदारों राशन का वितरण शुरू हो गया है। लेकिन कोटेदारा ई-पॉस मशीनों के संचालन और सर्वर कनेक्टिविटी की समस्या से जूझ रहे हैं।

इस कारण राशन का वितरण का कार्य काफी धीमा चल रहा है। परेशान कोटेदार अपने अपने क्षेत्र के वितरण निरीक्षकों को फोन पर जानकारी भी प्रदान कर रहें। जिला पूर्ति अधिकारी आनंद कुमार सिंह के मुताबिक एक -दो माह यह दिक्कत रहेगी लेकिन बाद में शहर की स्तर ग्रामीण क्षेत्रों में भी राशन वितरण का कार्य सामान्य हो जाएगा।

सरकार ने राशन वितरण के कार्य को पारदर्शी एवं पात्रों तक राशन की पहुंच सुनिश्चचित कराने के लिए न केवल राशन कार्डो से जोड़ा बल्कि अत्याधुनिक ई-पॉस मशीनों से राशन वितरण का कार्य भी शुरू कराया। शहरी क्षेत्र में 2000 कोटेदार सरकारी दुकानों पर ई-पॉस मशीनों से जून 2017 से राशन का वितरण कर रहे। अब जाकर ग्रामीण क्षेत्रों की 1702 सरकारी गल्ले की दुकान से राशन का वितरण कोटेदारों ने शुरू करा दिया है।

अब जनपद के कुल 7.60 लाख उपभोक्ता ई-पॉस मशीन में अंगूठा लगाने के बाद ही राशन पा रहे हैं। इनमें 1.26 राशन कार्ड धारक अत्योदय श्रेणी एवं शेष 6.34 पात्र गृहस्थी श्रेणी के राशन कार्ड धारक हैं। राशन कार्डों को आधार कार्ड से जोड़ने के कारण काफी संख्या में लोगों के राशन कार्ड कटे भी हैं। यही वजह है कि नए पात्रों को जोड़ा जा भी जा रहा है। नए लाभार्थियों को जोड़ने के लिए जिला पूर्ति अधिकारी कार्यालय 30 नवंबर तक विशेष अभियान चला रहा है।

जिला पूर्ति अधिकारी आनंद कुमार सिंह कहते ऐसे लोग जो पात्र गृहस्थी या फिर अंत्योदय की श्रेणी में आते हैं, अपने राशन कार्ड को बनाने के लिए 30 नवंबर तक आवेदन करें। ताकि छूटे लोगों को जोड़ा जा सके। उन्होंने उपभोक्ताओं से अपील किया है कि कोटेदारों को सहयोग करे क्योंकि ई-पॉस मशीनों को वे पहली बार इस्तेमाल कर रहे हैं, सर्वर कनेक्टिविटी की दिक्कत भी है।

अंगूठा नहीं लगे तो आंख के जरिए भी काम करेगी ई-पॉस मशीनें

ई-पॉस मशीनें आधुनिक तकनीक से लैस हैं। इसमें अंगूठा लगाने के साथ आंख के जरिए पहचान करने के स्लॉट बनाए गए हैं। जीपीएस के माध्यम से मशीन का लोकेशन पता चलेगा। हर मशीन पर कोटेदार का नाम और पता अंकित है। एक कोटेदार की मशीन का इस्तेमाल दूसरा कोटेदार नहीं कर सकता है। यह मशीन कोटेदार की दुकान से 100 मीटर की दूरी पर भी काम नहीं करेगी।

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