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विजयादशमी के दिन न्यायिक दण्डाधिकारी की भूमिका में रहेंगे सीएम योगी

नाथ संप्रदाय की पीठ श्रीगोरखनाथ मंदिर में गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ विजयादशमी के दिन न्यायिक दण्डाधिकारी के किरदार में दिखेंगे। विजयादशमी की देर रात होने वाली पात्र पूजा में नाथ संप्रदाय के...

विजयादशमी के दिन न्यायिक दण्डाधिकारी की भूमिका में रहेंगे सीएम योगी
हिन्दुस्तान टीम,गोरखपुरMon, 07 Oct 2019 02:35 AM
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नाथ संप्रदाय की पीठ श्रीगोरखनाथ मंदिर में गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ विजयादशमी के दिन न्यायिक दण्डाधिकारी के किरदार में दिखेंगे। विजयादशमी की देर रात होने वाली पात्र पूजा में नाथ संप्रदाय के संतों की अदालत लगेगी। इस अदालत में गोरक्षपीठाधीश्वर नाथ संप्रदाय के संतों के बीच के विवाद सुलझाएंगे।

नाथ संप्रदाय में पात्र पूजन की परम्परा पौराणिक काल से लगातार चली आ रही है। यह परम्परा आंतरिक अनुशासन बनाए रखने का अहम जरिया है। मंदिर के सचिव द्वारिका तिवारी बताते हैं कि पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ सीएम का पद संभालने के बाद भी पीठ के प्रति अपने उत्तरदायित्व को पूरी निष्ठा के साथ निवर्हन करते हैं। विजयादशमी के दिन श्री गुरु गोरखनाथ के साथ ही मंदिर में स्थापित सभी देवी-देवताओं की विशिष्ट पूजा योगी आदित्यनाथ करते हैं। गोरक्षपीठाधीश्वर का तिलक कर शोभायात्रा निकाली जाती है। संतों, ब्राह्मणों एवं निर्धन नारायण के साथ सहभोज का कार्यक्रम होगा।

पात्र देवता के रूप में पूजे जाएंगे गोरक्षपीठाधीश्वर : विजयादशमी के दिन ही गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ पात्र देवता के रूप में प्रतिष्ठित होते हैं। नाथ संप्रदाय से जुड़े सभी साधु-संत व पुजारी मिलकर मुख्य मंदिर में उनकी पात्र पूजा कर दक्षिणा अर्पित करते हैं। इस पूजा में सिर्फ उन्हें ही प्रवेश मिलता है जिन्होंने नाथ संप्रदाय के किसी योगी से दीक्षा ग्रहण की हो। उन्हें यहां अपने संप्रदाय एवं दीक्षा देने वाले गुरु की घोषणा करनी होती है। तकरीबन तीन घंटे तक चलने वाले इस परम्परागत कार्यक्रम में शामिल होने के बाद ही मंदिर का महंत मंदिर परिसर से बाहर जाता है। गोरक्षपीठाधीश्वर पात्र देवता दक्षिणा स्वीकार करते हैं लेकिन अगले दिन दक्षिणा साधुओं को प्रसाद स्वरूप लौटा दी जाती है।

शिकायतों व विवाद का निपटारा करते हैं पात्र देवता

नाथ संप्रदाय के सभी संत जिनके खिलाफ कोई शिकायत रहती है, पात्र देवता के रूप में गोरक्षपीठाधीश्वर उनकी सुनवाई करते हैं। मान्यता है कि पात्र देवता के समक्ष कोई झूठ नहीं बोलता है। यदि वह उनके समक्ष अपनी गलती स्वीकार कर लेता है, या फिर नाथ परम्परा के विरुद्ध किसी गतिविधि में संलिप्त मिलता है तो उसके विरुद्ध पात्र देवता कार्रवाई का निर्णय लेते हैं। पात्र देवता सजा एवं माफी का निर्णय लेते हैं। इस प्रक्रिया को चिलम साफी की प्रक्रिया भी कहते हैं। हालांकि गोरक्षपीठ में हुक्का और धूम्रपान की इजाजत नहीं है। दूसरे साधु संत भी गोरक्षपीठ में प्रवास के दौरान इस बात का ध्यान रखते हैं।

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