एम्स गोरखपुर मेें बोले सीएम, डॉक्टर के लिए संवेदनशील होना सबसे जरूरी:VIDEO
डॉक्टर की शिक्षा जितनी कठिन है उतनी ही मंहगी भी। सरकार मेडिकल कालेजों को बेहतर संसाधन मुहैया कराने की कोशिश कर रही है। इसके लिए भारी-भरकम रकम खर्च होती है। निजी मेडिकल कालेज में इतने संसाधनों के लिए...
डॉक्टर की शिक्षा जितनी कठिन है उतनी ही मंहगी भी। सरकार मेडिकल कालेजों को बेहतर संसाधन मुहैया कराने की कोशिश कर रही है। इसके लिए भारी-भरकम रकम खर्च होती है। निजी मेडिकल कालेज में इतने संसाधनों के लिए छात्रों को 10 करोड़ रुपये तक फीस देनी पड़ सकती है।
यह कहना है सीएम योगी आदित्यनाथ का। वह गुरुवार को एम्स में निरीक्षण करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने एमबीबीएस छात्रों के साथ संवाद किया। सीएम ने कहा कि संवेदनशील होना ही डॉक्टर की सबसे बड़ी जरूरत है। छात्रों को भी पढ़ाई पूरी करने के बाद पूरी संवेदना के साथ जनता की सेवा करनी चाहिए। डॉक्टरों को समाज की संवेदनाओं को समझ कर कार्य करना होगा। आज के दौर में संवेदनशील डॉक्टर की सबसे ज्यादा जरूरत है।
केजीएमयू की तर्ज पर गांव गोद ले एम्स
सीएम ने कहा कि डॉक्टरों की पढ़ाई के लिए सरकार पैसा खर्च कर रही है, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर दे रही है। पढ़ाई पूरी करने के बाद इंटर्नशिप के लिए डॉक्टर सिफारिश न करवाएं, बल्कि गांवों को गोद लेकर वहां प्रैक्टिस करें। लखनऊ स्थित केजीएमयू ने नेपाल सीमा से सटे जनपद बलरामपुर को गोद लिया है। उसी तर्ज पर एम्स को जिले के गांवों को गोद लेना चाहिए। डॉक्टरों को उन गांवों में जाकर इलाज करना चाहिए।
2003 से चल रहा था एम्स के लिए पहल
सीएम ने कहा कि वर्ष 2003 में पहली बार गोरखपुर में एम्स निर्माण के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। 2005 में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद गोरखपुर के दौरे पर आये थे। तब आजाद ने कहा था कि इन्सेफेलाइटिस के इलाज की जिम्मेदारी राज्य की है, केंद्र सरकार की नहीं। मोदी सरकार बनने के बाद उन्होंने केंद्र सरकार को गोरखपुर में एम्स का प्रस्ताव दिया था, जिसे साल 2016 में पीएम मोदी ने स्वीकृत कर दिया और गोरखपुर में एम्स का निर्माण शुरू हो गया।
सबसे तेज हो रहा गोरखपुर एम्स का निर्माण
एम्स निर्माण कर रही हाईट्स और एलएनटी के अधिकारियों ने एम्स के निर्माण की जानकारी दी। एम्स के अधिकारियों ने अब तक की उपलब्धी का खाका सीएम के सामने पेश किया। इस दौरान सीएम ने कहा कि सूबे में सरकार बनने के बाद उन्होंने जमीन संबंधी समस्याओं को दूर कर एक मीटिंग में ही सभी औपचारिकताओं को पूरा कर दिया। देशभर में निर्मित हो रहे 6 नए एम्स में से गोरखपुर एम्स का निर्माण सबसे तेजी से हो रहा है। यह इकलौता एम्स है जहां एमबीबीएस की पढ़ाई कैम्पस में ही हो रही है। सीएम ने निर्देश दिया कि सितम्बर 2020 तक हर हाल में एम्स का निर्माण पूरा होना चाहिए।
2.69 लाख लोग करा चुके हैं रजिस्ट्रेशन
इस मौके पर निदेशक डॉ. संजीव मिश्र ने कहा कि एम्स में अभी तक 2 लाख 69 हजार से ज्यादा रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। एम्स में एमबीबीएस में 50 छात्रों को एडमिशन मिला है। जिनमें 32 लड़के और 18 लड़कियां शामिल हैं। एम्स में 12 विभागों की ओपीडी चल रही है। उप निदेशक प्रशासन अश्वनी माहौर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
दक्षिण भारतीय छात्रों से मिले सीएम
सीएम ने एमबीबीएस छात्रों से मुलाकात की। छात्रों के आग्रह पर सीएम ने फोटो खिंचवाई। इस दौरान केरल के कालीकट की छात्रा अंश निरंजन कृष्णनन और आंध्र प्रदेश के हैदराबाद के मालवात पवित्रम से बात की। उन्होंने दोनों छात्रों से अब तक का अनुभव पूछा। उन्होंने पूछा कि कैंपस में किसी प्रकार की समस्या तो नहीं। उन्होंने शिक्षकों से पूछा कि दक्षिण भारतीय छात्रों के संवाद में कोई परेशानी तो नहीं हो रही है। उन्होंने दक्षिण भारतीय छात्रों का विशेष ध्यान रखने की हिदायत दी।
एम्स में सीएम ने कराया रजिस्ट्रेशन, खुद भरा ऑनलाइन फार्म
सीएम आयुष विंग पहुंचे। इसी विंग में ओपीडी का संचालन होता है। निदेशक ने सीएम को रजिस्ट्रेशन और ओपीडी में इलाज का पूरा सिस्टम बताया। उन्होंने बताया कि पहले दिन से इस एम्स में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हो रहा है। सीएम ने हॉस्पिटल इंफार्मेशन सिस्टम की तारीफ की। इस दौरान सीएम ने खुद ऑनलाइन अपना ओपीडी रजिस्ट्रेशन कराया। एम्स प्रशासन ने उन्हें कार्ड भी दिया। सीएम ने एम्स के विजिटर्स डायरी में अपना अनुभव लिखा।