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परम्परा का निर्वाह: नवरात्र में शक्ति अराधना के साथ ये अनुष्‍ठान करेंगे सीएम योगी आदित्‍यनाथ

गोरक्षपीठाधीश्वर और मुख्यमंत्री महंत योगी आदित्यनाथ इस नवरात्र शक्ति अराधना के साथ प्रदेश की सुख, शांति और समृद्धि के लिए विशेष अनुष्ठान करेंगे। यह पहला मौका है जब वह शारदीय नवरात्र में नौ दिन...

परम्परा का निर्वाह: नवरात्र में शक्ति अराधना के साथ ये अनुष्‍ठान करेंगे सीएम योगी आदित्‍यनाथ
अजय कुमार सिंह ,गोरखपुर Tue, 19 Sep 2017 08:57 PM
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गोरक्षपीठाधीश्वर और मुख्यमंत्री महंत योगी आदित्यनाथ इस नवरात्र शक्ति अराधना के साथ प्रदेश की सुख, शांति और समृद्धि के लिए विशेष अनुष्ठान करेंगे। यह पहला मौका है जब वह शारदीय नवरात्र में नौ दिन गोरखनाथ मंदिर में रहने की बजाये पहले दिन कलश स्थापना कर लखनऊ लौट जायेंगे और फिर नवमी को लौटकर दशमी तक रहेंगे। कुछ लोग इसे पुरानी परम्परा का टूट जाना बता रहे हैं जबकि मंदिर से जुड़े लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री के रूप में उत्तर प्रदेश की 22 करोड़ जनता की सेवा में रहकर वह गोरक्षपीठ की उस पुरानी परम्परा का निर्वाह कर रहे हैं जो लोकहित को सर्वोपरि मानती है। 

सीएम योगी आदित्यनाथ, नाथ पंथ की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारत वर्षीय अवधूत भेष बारह पंथ योगी महासभा के अध्यक्ष भी हैं। नाथ पंथ और गोरक्षपीठ भगवान शिव को अपना अराध्य मानती है। लेकिन शैव मतावलम्बी होने के बावजूद गोरक्षपीठ में मां दुर्गा, राम दरबार, बजरंग बली  सहित विभिन्न देवी देवताओं के मंदिर स्थापित हैं। मंदिर से वर्षों से जुड़े द्वारिका तिवारी बताते हैं, ‘वर्षों से यहां सभी देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना होती रही है। पहले दीवारों में मूर्तियां थीं। 1974 में बड़ा आयोजन हुआ था। उसमें देवरहा बाबा, शंकराचार्य सहित देश के तमाम संत-महात्मा आये थे। उसी साल से कई देवी-देवताओं के मंदिर बने और मूर्तियां स्थापित की गईं।’ वह कहते हैं, ‘नाथ पंथ हमेशा से लोकहित के लिए समर्पित रहा। सभी वर्गों के लिए खुले इस पंथ में मानवता को सर्वोपरि रखा गया।’

गोरक्षपीठ की प्रमुख शैक्षणिक संस्थाओं में से एक महाराणा प्रताप पीजी कालेज के प्राचार्य डा.प्रदीप राव कहते हैं, ‘समय, काल और परिस्थितियों के हिसाब से लोकहित में जब जो आवश्यक था गोरक्षपीठ ने उसे अपनाया। शिवावतारी गुरु गोरक्षनाथ ने योग की आधारशिला रखी। प्राचीन काल में यह पीठ शिव उपासना का केंद्र बिन्दु बनी तो मध्यकाल में धर्मरक्षा और राष्ट्रीय आंदोलन में राष्ट्ररक्षा को जोड़ते हुए शस्त्र पूजा और शक्ति अराधना का संदेश भी दिया।’ उनके मुताबिक स्वाधीनता संग्राम के दौरान तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ ने  परम्परा तोड़कर क्रांतिकारियों का नेतृत्‍व किया। आजादी के बाद सांस्‍कृतिक राष्‍ट्रवाद को संसदीय परम्‍परा में स्‍थापित करने के लिए राजनीति में कूदे। इसी तरह सामाजिक समरसता के मुद्दे पर 1980 में गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ ने राजनीति छोड़कर नया अभियान शुरू किया। आवश्यकता महसूस होने पर रामजन्मभूमि आंदोलन का नेतृत्व किया और राजनीति में लौटे। महिलाओं को वेद पढ़ने के अधिकार का पुरजोर समर्थन करते हुए भी गोरक्षपीठ ने प्रमाणित किया कि वो किसी गैरजरूरी रुढ़िगत और पांथिक परम्परा की पक्षधर नहीं है। 

वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर और सीएम योगी आदित्यनाथ भी समय के साथ लीक तोड़ते और नई परम्परायें डालते आये हैं। 1994 में प्रशासन ने होली के जुलूस को रोका तो वह हर होली घंटाघर में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रार्थना सभा में शामिल होने और जुलूस का नेतृत्व करने लगे। 

नवरात्र में ये रही है परम्परा- 

अब तक, शारदीय नवरात्र के आरम्भ से अष्टमी तक गोरक्षपीठाधीश्वर, मंदिर में अपने कमरे से नीचे नहीं उतरते थे। इस बार नवरात्र में कुल तीन दिन (21 सितम्बर, 29 सितम्बर और 30 सितम्बर) ही गोरखनाथ मंदिर में रहेंगे लेकिन प्रतिदिन सुबह तीन बजे उठकर मां की पूजा-अर्चना का क्रम जारी रहेगा। मंदिर के पुरोहित पंडित रामानुज त्रिपाठी वेदाचार्य ने बताया कि नवरात्र के नौ दिन वह उपवास रखते हैं। नियमित पूजा में वह देश-प्रदेश की सुख-शांति-समृद्धि और मानवता के कल्याण की प्रार्थना करते हैं। नवमी को कन्या पूजन और हवन होता है। विजयदशमी को उनकी अगुवाई में गोरखनाथ मंदिर से भव्य शोभा यात्रा निकलती है। 

इस बार यह होगा कार्यक्रम- 

मुख्यमंत्री 21 सितंबर को गोरखनाथ मंदिर आयेंगे। शाम को कलश स्थापना कर वापस लखनऊ लौटेंगे। उनके जाने के बाद मंदिर के मुख्य पुजारी कमलनाथ उनके प्रतिनिधि के तौर पर पूजा पाठ करते रहेंगे। 29 सितंबर को वह दोबारा गोरखनाथ मंदिर आयेंगे। कन्या पूजन और  बटुक बालक पूजन कर भोजन कराएंगे। 30 सितंबर को सुबह गोरखनाथ मंदिर परिसर में स्थापित सभी देवी देवताओं तथा संत-महंतों के विग्रहों का पूजन करेंगे। गौशाला में गौ पूजन के बाद मंदिर से भव्य शोभायात्रा निकलेगी। शाम को गोरखनाथ मंदिर में सहभोज का आयोजन किया जायेगा। 

पहले भी टूटी है परम्परा 

शारदीय नवरात्र के नौ दिन गोरखनाथ मंदिर में ही रहने की गोरक्षपीठाधीश्वर की परम्परा 2014 में नंदानगर में हुए रेल हादसे के दौरान भी टूटी थी। तब गोरक्षपीठाधीश्वर महंत आदित्यनाथ परम्परा तोड़कर घटनास्थल पर पहुंचे थे।  

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