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Surya Grahan 2020: सूर्य ग्रहण के समय के नियम, इन बातों से बचेंगे बुरे प्रभाव से

पंडित देवन्द्र प्रताप मिश्र ने बताया कि शास्त्रों में सूर्य ग्रहण के बाद स्नान करना जरूरी बताया गया है। योग वशिष्ठ में लिखा है कि पुत्रजन्मनि यज्ञे च तथा सक्रमणे रवेः। रहोश्च दर्शने कार्य प्रशस्तं...

Surya Grahan 2020: सूर्य ग्रहण के समय के नियम, इन बातों से बचेंगे बुरे प्रभाव से
हिन्‍दुस्‍तान टीम ,गोरखपुर Sun, 21 Jun 2020 11:26 AM
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पंडित देवन्द्र प्रताप मिश्र ने बताया कि शास्त्रों में सूर्य ग्रहण के बाद स्नान करना जरूरी बताया गया है। योग वशिष्ठ में लिखा है कि पुत्रजन्मनि यज्ञे च तथा सक्रमणे रवेः। रहोश्च दर्शने कार्य प्रशस्तं नान्यथा निशि। यानी संतान के जन्म पर, यज्ञ, सूर्य और चंद्र संक्रांति यदि रात में भी हो तो स्नान करके शुद्ध होना चाहिए। इसकी वजह यह है कि इन सभी घटनाओं के बाद शरीर अपवित्र हो जाता है और इसे फिर से देव पितृ कार्य के लिए शुद्ध करना जरूरी होता है। 

उन्होंने बताया कि सूर्य को ग्रहों का राजा या यूं कहें कि पिता का दर्जा दिया जाता है। दसवें घर में यह अपनी सबसे मजबूत स्थिति में होता है, जिसे पिता का प्रतिनिधित्व करने के लिए जाना जाता है। सूर्य को प्रसन्न करने के लिए सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। प्रतिदिन सूर्य नमस्कार, गायत्री मंत्र, प्राणायाम करें। 

कितने प्रकार के होते हैं सूर्य ग्रहण
1-पूर्ण सूर्यग्रहण: जब चन्द्रमा की छाया पूरी तरह से सूर्य पर पड़ रही होती है तो पूर्ण सूर्यग्रहण होता है।
2-आंशिक सूर्य ग्र्रहण: जब चन्द्रमा की छाया सूर्य पर आंशिक रूप से पड़ती है तब आंशिक सूर्य ग्रहण होता है। 
3-वलयाकार या छल्लेदार सूर्य ग्रहण: जब सूर्य  के मध्य भाग पर चन्द्रमा की छाया पड़ रही होती है तब उसके चारों ओर  एक गोल घेरा बन जाता है। जिसे खगोल विज्ञान की भाषा में रिंग ऑफ फायर कहा जाता है। इसे ही वलयाकार या छल्लेदार सूर्यग्रहण कहा जाता है।
4-हाईब्रिड सूर्य ग्रहण: यह एक दुर्लभतम खगोलीय घटना होती है जो पूर्ण सूर्य ग्रहण और वलयाकार सूर्यग्रहण से मिलकर बनती है। 

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सूतक काल शनिवार से शुरू
सूर्य ग्रहण से पूर्व ही शनिवार से सूतक काल शुरू हो गया था। ग्रहण के 12 घंटे से पूर्व ही सूतक काल लग जाता है। शनिवार रात 10:05 मिनट से सूतक काल हो गया जो ग्रहण खत्म होने तक रहेगा। सूतक कॉल के दौरान मंदिर के कपाट बंद रहे। पंडित देवेन्द्र प्रताप मिश्र के अनुसार ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार के खाद्य पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा कोई नया काम भी नहींं करना चा‍हिए। पंडित राकेश उपाध्याय ने बताया कि सूतक काल में पूजा पाठ व धार्मिक आयोजन नहीं किये जाते हैं।

कई रहस्‍यों को समेटे हुुुए है इस बार का सूर्य ग्रहण

साल-2020 का पहला सूर्य ग्रहण अपने आप में कई रहस्यों को समेटे हुए है। इन रहस्‍यों को सुलझाने और वैज्ञानिक अध्‍ययनों के लिए आज नक्षत्रशाला खुली। इस बार सूर्य ग्रहण छह घंटे का है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इतनी लम्‍बी अवधि अध्‍ययन में काफी मददगार होगी। इस दौरान कई सवाल सुलझने की उम्‍मीद है। 

वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला के क्षेत्रीय वैज्ञानिक अधिकारी महादेव पांडेय ने बताया कि अगला सूर्य ग्रहण 14 दिसम्बर 2020 को लगेगा जो भारत में नहीं दिखेगा। इसके बाद 21 जून 2031 आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। जो केरल के कुछ हिस्सों में दिखेगा। अब से करीब 14 साल बाद 20 मार्च 2034 सूर्य ग्रहण होगा जो भारत में दिखेगा।

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नक्षत्रशाला के खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि सूर्य ग्रहण को देखने के लिए एक विशेष सोलर चश्मे, सोलर टेलीस्कोप, पिन होल, कैमरा, सूर्यग्रहण प्रोजेक्टर की मदद से ही देखना चाहिए। खुली आंखों से सूर्यग्रहण नहीं देखना चाहिए। क्योंकि सूर्य से आने वाली अल्ट्रा वायलेट किरणें आंखों की रेटिना को नुकसान पंहुचाती हैं। जिस कारण आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चले जाने का खतरा होता है। सूर्यग्रहण पूर्ण सूर्यग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण, वलयाकार या छल्लेदार और हाईब्रिड सूर्यग्रहण समेत कुल चार प्रकार के होते हैं। इस खगोलीय घटना को भारत के अलावा जापान, चीन, मध्यपूर्व एशिया, दक्षिण पूर्वी यूरोप, इराक, सऊदी अरब, अफगानिस्तान में देखा सकता है। 

 

 

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