अहिलवार की देवी के आगे अंग्रेजों को बदलना पड़ा था फैसला
देवरिया में गोरखपुर से बनारस और बिहार की ओर जाने वाले रेलवे ट्रैक के किनारे अहिल्यापुर रेलवे स्टेशन से सटे है अहिलवार की देवी का मंदिर। जनश्रुति है कि मां की महिमा के सामने अंग्रेजो को भी अपना...
देवरिया में गोरखपुर से बनारस और बिहार की ओर जाने वाले रेलवे ट्रैक के किनारे अहिल्यापुर रेलवे स्टेशन से सटे है अहिलवार की देवी का मंदिर। जनश्रुति है कि मां की महिमा के सामने अंग्रेजो को भी अपना फैसला बदलना पड़ा था।
लोग बताते हैं कि लगभग 110 साल पहले जब अंग्रेजों द्वारा इस रूट पर मीटर गेज रेलवे लाइन का निर्माण चल रहा था उस समय अंग्रेज अधिकारियों ने फैसला ले लिया कि रेलवे लाइन इस मंदिर से होकर गुजरेगी। ग्रामीणों के विरोध के बावजूद मां दुर्गा के प्राकट्य पिंडी के ठीक उपर से रेलवे पटरी बनाने का काम शुरू हो गया।
अंग्रेज अफसरों के होश उस वक्त उड़ गए जब शाम को बिछाई गई पटरियां सुबह अपने-आप क्षतिग्रस्त मिलीं। पहले-पहले तो अंग्रेजों ने इसे किसी ग्रामीण की शरारत माना और आम लोगों को परेशान करने लगे लेकिन बावजूद इसके दुबारा से बिछाई गई पटरियां भी अगले दिन टूटी हुई अवस्था में मिलीं।
महीनों के प्रयास के बाद अंग्रेज अफसरों ने ग्रामीणों की बात मान ली और रेल की पटरी को 100 मीटर दक्षिण से गुजारने का निर्णय लिया। यही नहीं तत्कालीन अंग्रेज अफसरों ने रेलवे ट्रैक के निर्माण की सफलता के लिए मां के मंदिर का जीर्णोद्धार भी कराया। तब जाकर रेल की पटरिया बिछाने का कार्य पूरा हुआ ।
देवरिया का यह सिद्धपीठ मंदिर जनपद मुख्यालय से 8 किमी. की दूरी पर देवरिया- सलेमपुर मार्ग के मुण्डेरा बुजुर्ग चैराहा से उत्तर ग्रामसभा अहिल्वार बुजुर्ग से सटे स्थित रेलवे लाईन के उत्तर तरफ अवस्थित है। वैसे तो वर्ष भर यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है किन्तु चैत्र एवं शारदीय नवरात्रि के दौरान लाखों की संख्या में भक्तजन यहां अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं।