डिब्बे में बंद है ब्रेकीथेरेपी और एक्सरे मशीन, हलकान हो रहे मरीज
कैंसर रोग विभाग में ट्यूमर पर रेडिएशन से वार करने वाली ब्रेकीथेरेपी मशीन करीब ढाई साल से बंद है। इस मशीन को चलाने के नाम पर 10 लाख रुपये से खरीदी गई 300 एमए की एक्सरे मशीन भी डेढ़ साल से डिब्बे में...
कैंसर रोग विभाग में ट्यूमर पर रेडिएशन से वार करने वाली ब्रेकीथेरेपी मशीन करीब ढाई साल से बंद है। इस मशीन को चलाने के नाम पर 10 लाख रुपये से खरीदी गई 300 एमए की एक्सरे मशीन भी डेढ़ साल से डिब्बे में बंद है। जांच के लिए मरीजों को जेब ढीली करनी पड़ रही है।
पूर्वी यूपी में कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मेडिकल कॉलेज के कैंसर रोग विभाग में हर साल करीब 10 हजार मरीज इलाज के लिए आते हैं। हर सप्ताह सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित 50 मरीज अस्पताल पहुंचते हैं। स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, गॉल ब्लाडर आदि के कैंसर से पीड़ित मरीज भी काफी संख्या में आते हैं, जिन्हें इलाज नहीं मिल पा रहा है।
नहीं संचालित हो रही ब्रेकीथेरपी : विभाग में तीन साल पहले ब्रेकीथेरेपी मशीन स्थापित की गई। मशीन की कीमत करीब दो करोड़ रुपये है। मशीन में करीब 60 लाख रुपये की लागत से रेडियोएक्टिव पदार्थ (सोर्स) डाला गया लेकिन मशीन से अब तक एक मरीज का इलाज नहीं हो सका। जबकि मशीन में डाले गए सोर्स (रेडियोएक्टिव पदार्थ इरीडियम) का आधा जीवन खत्म हो गया। मशीन की भी वारंटी खत्म होने को है। निजी अस्पताल में एक बार थेरेपी का खर्च 5,000 रुपये तक आता है, जिससे मरीजों की जेब पर भारी खर्च पड़ रहा है। जबकि बीआरडी में यह खर्च एक बार में केवल 35 रुपये आता है।
स्तन व सर्वाइकल कैंसर में ब्रेकीथेरेपी जरूरी
कैंसर के संक्रमण को नष्ट करने के लिए मरीजों को रेडिएशन देना पड़ता है। दूर से रेडिएशन देने पर अन्य अंगों पर दुष्प्रभाव का खतरा रहता है। ब्रेकीथेरेपी से उस जगह पर रेडिएशन दिया जाता है जहा कैंसर का ट्यूमर होता है। सर्वाइकल, प्रोस्टेट व स्तन कैंसर से पीड़ित मरीजों के इलाज में इसका इस्तेमाल अधिक होता है।
डेढ़ साल से डिब्बे में बंद है एक्सरे मशीन
कैंसर रोग विभाग ने ब्रेकीथेरपी के संचालन के लिए 300 एमए के एक्सरे मशीन की जरूरत बताई। शासन से मंजूरी मिलने के बाद मार्च 2018 में एक्सरे मशीन के खरीद की प्रक्रिया शुरू हुई। दो महीने में मशीन बीआरडी पहुंच गई। डेढ़ साल से विभाग में मशीन डिब्बे में बंद है।
विभाग के संचालन में कुछ परेशानियां हो रही हैं। ब्रेकीथेरेपी और एक्सरे को संचालित करने की कोशिश करूंगा। इस विभाग पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- डॉ. गणेश कुमार, प्राचार्य, बीआरडी
कैंसर रोग विभाग के डॉ. मामून खान ने दिया इस्तीफा
कैंसर रोग विभाग में तैनात डॉ. मामून खान ने बुधवार को इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही अब विभाग में मरीजों के इलाज के लिए सिर्फ विभागाध्यक्ष डॉ. रावत ही रह गए हैं। इस विभाग में कभी तीन डॉक्टर तैनात थे। रोजाना की ओपीडी 200 से अधिक की हो गई थी। विभाग में आईसीएमआर से कैंसर मरीजों का पंजीकरण भी शुरू हो गया। शिक्षकों के आपसी विवाद के कारण विभाग के इंतजाम पटरी से उतर गए। पिछले साल अगस्त में तत्कालीन विभागाध्यक्ष डॉ. एमक्यू बेग का तबादला हो गया। अब डॉ. मामून के इस्तीफे के बाद सिर्फ एक शिक्षक ही विभाग में रह गए। इसके अलावा एक फिजिसिस्ट विभाग में हैं।