100 करोड़ से ज्यादा के राजस्व का नुकसान पहुंचा चुका है कमरुद्दीन कुनबा
1986 से ही कमरूद्दीन कर रहा जाली स्टांप का धंधा, ससुर से उसने सीखी थी यह कला986 से ही कमरूद्दीन कर रहा जाली स्टांप का धंधा, ससुर से उसने सीखी थी यह कल
गोरखपुर। वरिष्ठ संवाददाता बिहार के जालसाजों ने जाली स्टांप छापकर 100 करोड़ रुपये से अधिक के राजस्व का नुकसान पहुंचाया है। पुलिस के अनुसार 1986 से ही मो. कमरूद्दीन फर्जी स्टांप और जाली नोटों का धंधा कर रहा है। उसने पटना, प्रयागराज, कुशीनगर, देवरिया, पश्चिम के मेरठ समेत अन्य जिले, आगरा और दिल्ली व राजस्थान राज्य में भी अपना सिडिंकेट बनाया है। जहां पर फर्जी स्टांप बेचकर इसने सरकार को अरबों रुपये के राजस्व की चपत लगाई है। जिसकी अब पुलिस जांच कर रही है।
पुलिस की जांच में पता चला है कि वर्ष 1986 में मो. कमरूद्दीन बिहार में जाली नोट के साथ पकड़ा गया था। इसके बाद 1992, 2014 में वह जेल गया। 2024 अप्रैल में गोरखपुर में फर्जी स्टांप के साथ पकड़ा गया। तभी से वे जेल में है। वहीं उसके इस अवैध धंधे को वर्ष 2014 से उसका बेटा नवाब आरजू और भांजे साहबजादे तेजी से आगे बढ़ाने लगे। कमरूद्दीन के जेल जाने के बाद भी फर्जी स्टांप धंधा चलता रहा।
देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने के बाद एटीएस द्वारा इस गिरोह का आईएसआई कनेक्शन भी तलाशा जा रहा है। वहीं पुलिस पकड़े गए बिहार सिवान के नवाब आरजू, राजू यादव और रिंकू देवी उर्फ नीलू पर गैंगस्टर की कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस के अनुसार गैंगस्टर लगाने के साथ ही इनकी अवैध संपत्ति भी जब्त की जाएगी।
जाली नोट में बरी हो गया मोहम्मद कमरूद्दीन
पुलिस की जांच सामने आया है कि 1986 में मो. कमरूद्दीन जाली नोट के साथ बिहार में पकड़ा गया था। हाल ही में वो इस केस में साक्ष्य के अभाव में कोर्ट से बरी हो गया।
पत्नी बन सकती है आरोपी
रविवार को क्रेटा कार नबर बीआर 29 एसी 9999 में फर्जी स्टांप के साथ नवाब आरजू और राजू यादव पकड़े गए थे। नवाब ने पुलिस को बताया कि वर्ष 2017 में मेरे पिता कमरूद्दीन और मैंने मिलकर मेरी पत्नी शमा परवीन के नाम से खरीदी थी। कार शमा परवीन के नाम होने की वजह से इस केस में पुलिस शमा परवीन को भी आरोपी बना सकती है।
अर्पित को पकड़ने के लिए पुलिस जुटा रही साक्ष्य
फर्जी स्टांप के धंधे में फंडिग करने वाला यूपी के पश्चिम क्षेत्र में बैठा शातिर अर्पित जैन को पकड़ने से पहले पुलिस साक्ष्य एकत्रित कर लिए हैं। पुलिस के साथ ही एटीएस भी अर्पित की तलाश कर रही है।
फरार है बेलघाट का अरविंद
यूपी एटीएस ने रविवार को कूटरचित स्टांप पेपरों और टिकटों की सप्लाई करने वाली गैंग के मास्टर माइंड नवाब आरजू और उसके साथी राजू कुमार यादव को कैंट इलाके से गिरफ्तार किया। फर्जी स्टांप मामले में पहली कार्रवाई पांच अप्रैल को हुई थी। पुलिस ने बिहार सिवान मोफस्सिल नई बस्ती के रहने वाले 84 साल का मोहम्मद कमरूद्दीन और उसका नाती साहेबजादे को पकड़ा था। इसमे कुशीनगर के स्टांप विक्रेता गोपाल तिवारी और बेलघाट के अरविंद निषाद का भी नाम आया था। तभी से दोनों फरार चल रहे थे। दोनों पर 25-25 हजार रुपये इनाम रखा था। सोमवार को क्राइम ब्रांच टीम ने इनामी कुशीनगर निवासी गोपाल तिवारी को देवरिया से गिरफ्तार कर लिया। अरविंद अभी भी फरार है।
कोट
नवाब आरजू और इसके पिता मो. कमरूद्दीन के गिरोह का सिडिंकेट कई राज्यों के शहरों में फैला है। कमरूद्दीन 1986 से ही इस धंधे में लिप्त है। इस गिरोह पर गैंगस्टर की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। अन्य आरोपियों की तलाश चल रही है।
कृष्ण कुमार बिश्नोई, एसपी सिटी
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