अयोध्या में गोरखपुर के कलाकारों ने किया राम के राज्याभिषेक का मंचन
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या छोटी दीपावली पर काफी भव्य और आकार्षक रही। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं राज्यपाल राम नाईक अयोध्या की मौजूदगी में छोटी दीपावली ‘त्रेता युग की...
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या छोटी दीपावली पर काफी भव्य और आकार्षक रही। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं राज्यपाल राम नाईक अयोध्या की मौजूदगी में छोटी दीपावली ‘त्रेता युग की भव्य दीपावली’ का अहसास कराया। सरयू नदी के तट पर आयोजित इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में गोरखपुर के कलाकारों के दल ने भी ‘रामायण’ की संगीतमय प्रस्तुति दी।
इंडोनेसिया और श्रीलंका के कलाकारों द्वारा रामलीला के मंचन के बीच भारत का प्रतिनिधित्व लोकप्रिय मंच सांस्कृतिक संगम सलेमपुर-गोरखपुर करेगा। 60 कलाकारों को यह दल अयोध्या में ‘संगीतमय रामायण’ का मंचन किया। इसके लिए इस दल को सिर्फ 60 मिनट का वक्त मिला।
रामायण की परिकल्पना, निर्देशन एवं अभिनेता मानवेंद्र त्रिपाठी कहते हैं अंतरराष्ट्रीय अतिथि कलाकारों के बीच भगवान राम की नगरी अयोध्या में ‘रामायण’ के मंचन का निमंत्रण हम कलाकारों के लिए बड़ा सम्मान रहा। यकीनन इससे हमारी प्रतिभा को बड़े फलक पर पहचान मिली। कलाकारों को हौसला भी बढ़ा। यकीन हुआ कि यदि वे कुछ अलग ढंग से सभी के कल्याण की भावना से करेंगे तो उन्हें समर्थन एवं प्रोत्साहन जरूर मिलेगा।
2005 से शुरू हुआ सिलसिला
क्षेत्रीय कलाकारों को मंच देने एवं कला को उनकी रोटी-रोजगार का जरिया बनाने के उद्देश्य से सांस्कृतिक कला संगम की शुरूआत युवा कलाकार मानवेंद्र त्रिपाठी ने अपने साथियों की मदद 2005 से की। 100 से ज्यादा थियेटर कार्यशाला कर अच्छे कलाकारों को चयन कर एक टीम बनाई गई। इसी बीच संस्कार गीतों के संरक्षण एवं उनके प्रचार प्रसार के उद्देश्य से कालीदास के नाटक ‘मेघदूतम’ से प्रेरणा लेते हुए ‘मेघदूत की पूर्वांचल यात्रा’ शीर्षक से संगीतमय नाटक की परिकल्पना की। कडे़ अभ्यास के पश्चात 2005 के आखिर से मंचन शुरू हुआ जिसकी अब तक 145 से कड़ियां प्रस्तुत की जा चुकी हैं।
रामलीला के मंच गिरते स्तर को देख मिली प्रेरणा
मानवेंद्र बताते हैं लगातार महसूस कर रहे थे कि रामलीला के मंच पर मंचन के अलावा काफी कुछ ऐसा होने लगा जिससे उसमें सिर्फ मनोरंजन का भाव ही बढ़ता जा रहा था, रामलीला का मंच लोगों को रामचरित मानस के मर्म को समझाने में विफल हो रहा था। दूसरी ओर दर्शक भी इन्हीं की ओर आकर्षित हो रहे थे। इस पीड़ा से ‘रामायण’ नाम के मंचन की परिकल्पा की गई। रामचरित मानस पर आधारित इस ‘म्यूजिकल रामलीला’ में 60 कलाकारों को दल सप्ताह के 7 दिन 3-3 घंटे की रामलीला का मंचन करता है। अब तक देश भर में 100 से ज्यादा प्रस्तुतियां हो चुकी हैं।
देश की पहली अत्याधुनिक रामलीला
दर्शकों को प्यार और समर्थन इतना मिला कि सांस्कृतिक संगम की रामलीला देश की अपने तरह की पहली अत्याधुनिक रामलीला है। इस रामलीला के मंच पर एलईडी से दृश्य बनाए जाते हैं। मंच के कलाकार भी एलईडी सक्रिन पर असंभ को संभव करते हुए दिखते हैं। साऊड और म्यूजिक और अभियन का सामजस्य मिल कर लोगों को फिल्म का एहसास कराता है। रामायण की प्रस्तुति के दौरान प्रत्येक कलाकार को 10 से 15 हजार रुपये का पारितोषिक भी मिलता है।