ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश गोरखपुरराप्ती के रहमोकरम पर है अजवनिया रिंग बांध

राप्ती के रहमोकरम पर है अजवनिया रिंग बांध

कई दिनों से बाढ़ से बचाव के लिए किए जाने वाला दावा बुधवार को मौके पर पड़ताल के बाद धड़ाम हो गया। बंधों की जो हालत पिछली बाढ़ में थी वही अभी भी दिख रही है। ग्रामीणों का कहना है कि पिछली बार आई बाढ़ से किसी...

राप्ती के रहमोकरम पर है अजवनिया रिंग बांध
आशीष श्रीवास्तव,गोरखपुर Fri, 15 Jun 2018 08:08 PM
ऐप पर पढ़ें

कई दिनों से बाढ़ से बचाव के लिए किए जाने वाला दावा बुधवार को मौके पर पड़ताल के बाद धड़ाम हो गया। बंधों की जो हालत पिछली बाढ़ में थी वही अभी भी दिख रही है। ग्रामीणों का कहना है कि पिछली बार आई बाढ़ से किसी ने सबक नहीं लिया और तब से लेकर प्रमुख बधों की खबर लेने कोई नहीं पहुंचा। यहां सिर्फ बांध की चौड़ाई नापने के लिए लोग बारी-बारी से आते हैं। 

तैयारी अधूरी फिर टूटेंगे बांध-एक
पिछली बार आई बाढ़ में बंधा हो गया था क्षतिग्रस्त
तमाम दावे फेल, अब तक नहीं हो सकी है मरम्मत
बाढ़ खत्म होने के बाद अब तक नहीं पहुंची है टीम
ग्रामीणों में आक्रोश, उनकी सुधि नहीं लेता प्रशासन 

यह हाल तब है जब यह बांध 50 से अधिक गांवों के 80 हजार लोगों की सुरक्षा करता है। अजवनिया गांव की 60 वर्षीय फूला देवी कहती हैं वह जन्म से वहीं पर है। जब से इस बांध को देख रही हैं वैसा ही है। आज तक उसपर कोई मरम्मत का काम नहीं हुआ। ऊपर से हर बारिश में बांध कटता चला जाता है। 
बंधों की पड़ताल करने के लिए ‘हिन्दुस्तान’ की टीम गुरुवार को राप्ती नदी के पास बने अजवनिया और झडवा गांव के बीच रिंग बांध पर गई। मंझरियां और झड़वा गांव के पास से गुजरे इस बांध पर कई जगह काफी बड़े कट साफ दिख रहे थे। वहां न तो मिट्टी डाली गई थी न टूटफूट की मरम्मत हुई थी। न ही बांध की ऊंचाई बढ़ाई गई। यूं कह लें कि पिछले कई वर्षों से बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों की सुरक्षा बंधों के भरोसे न होकर नदियों के रहमोकरम पर टिकी है। अजवनिया रिंग बांध के जर्जर होने से वहां के ग्रामीण डरे हुए हैं। 

अजवनिया और झडवा गांव के बीच बने बांध पर रेनकट
मलौली बांध (महेवा) से करीब तीन किलोमीटर आगे अजवनियां गांव पहुंचते ही बांध की जो हालत है वह काफी डरावनी है। ग्रामीणों का कहना है कि पहले इस बांध और उनके घरों के बीच पांच फीट का फासला था लेकिन पानी से कटते-कटते यह घरों से पूरी तरह से सट गया है। 

अजवनिया रिंग बांध पर भी काम नहीं
मलौनी बांध पर संवेदनशील स्थल अजवनियां रिंग बांध का 3.4 किलोमीटर का हिस्सा भी उपेक्षा का शिकार है। इस बांध पर भी कई स्थान पर रेनकट और रैटहोल बने हुए हैं। रेनकट तो ऊपर से दिख भी जाते हैं लेकिन रैटहोल सामान्यता दिखाई नहीं देते।

1998 और 2017 में सड़क पर आ गया था पानी
1998 और 2017 में आए भीषण बाढ़ ने अजवनिया रिंग बांध को हिला कर रख दिया था। राप्ती नदी के उफनाने से बांध कई जगह से कट गया था। 

किसी को नहीं पता कितना पुराना है बांध
अजवनिया रिंग बांध कितना पुराना है इसकी जानकारी खुद सिचाई विभाग के मुख्य अभियंता को भी नहीं है। उनका है कि उन्हें इस बारे में जानकारी जुटानी होगी। उधर अजवनिया गांव के 70 से 80 वर्ष के बुजुर्गों को भी बांध के बनने की जानकारी नहीं है। उनका कहना है कि वह जबसे होश संभाले हैं तब से इस बांध को उसी तरह से देख रहे हैं। 

जिला प्रशासन ने अब तक किए यह काम
जिला प्रशासन का दावा है कि पहली बार वह ड्रोन से बंधों और नदियों का सर्वे करवा रहा है। इससे बंधों की वास्तविक स्थिति का पता चल सकेगा। इसके साथ ही सिंचाई विभाग की टीम हर दूसरे दिन एक बांध का निरीक्षण करने पहुंचती है। 

सिर्फ चौड़ाई नापने आते हैं


मुझे यह तो पता नहीं कि बांध कब बना लेकिन मैं जब से देख रहा हंू तब से इस पर कोई काम नहीं हुआ। जब भी बारिश शुरू होती है डर बना रहता है कि घर डूब जाएगा। पिछली बार आई बाढ़ के बाद भी कुछ काम नहीं हुआ। 
रमेश, ग्रामीण अजवनिया गांव

एक ट्रॉली मिट्टी तक नहीं गिरी


एक ट्राली मिट्टी तक नहीं गिरी। जब नदी का पानी यहां तब आ जाता है तो कुछ लोग 10-20 बोरा बालू लेकर आ जाते हैं। जिसका घर डूबता है और सबकुछ तबाह हो जाता है उसे इसका दर्र्द पता चलता है। 
सोमारी देवी, अजवनिया गांव

क्या कहते हैं अधिकारी
(सिचाई विभाग के मुख्य अभियंता अशोक कुमार सिंह से सवाल-जवाब)
सवाल-इस बांध पर काम हुआ या नहीं
जवाब-यह तो जानकारी के करने के बाद ही बता सकूंगा, संभव है बजट न आने से काम न हुआ हो। या फिर वह डेड बांध हो
सवाल-डेड बांध कैसे? वहां तो आबादी रहती है। 
जवाब-इसे चेक करवाता हंू। अगर वहां बांध जर्जर हालत में है तो उसकी तत्काल से मरम्मत कराई जाएगी। 
सवाल-बारिश आने वाली है। मरम्मत कैसे करा पाएंगे?
जवाब-थोड़ी दिक्कत तो होगी लेकिन प्राथमिकता के आधार पर कराया जाएगा।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें