मौत के बाद पुलिस ने माना जिंदा था विदेशी
भतीजों ने भरोसे का कत्ल किया। पुलिस ने भी भरोसा उठा दिया। ‘जिंदा होने के लिए वह थाने के चक्कर लगाता रहा। कार्रवाई न होने के आघात से उबर नहीं पाया। सदमे में सांसों ने भी उसका साथ छोड़ दिया। बेरहमी...
भतीजों ने भरोसे का कत्ल किया। पुलिस ने भी भरोसा उठा दिया। ‘जिंदा होने के लिए वह थाने के चक्कर लगाता रहा। कार्रवाई न होने के आघात से उबर नहीं पाया। सदमे में सांसों ने भी उसका साथ छोड़ दिया। बेरहमी उजागर होने के डर से आखिरकार पुलिस ने मौत के बाद माना कि वह जिंदा था।
आंखों में आंसू ला देने वाली यह दास्तान है चिलुआताल के दौलतपुर गांव निवासी विदेशी की। विदेशी परिवार के साथ बाहर रहकर काम करता था। घर पर मौजूद अपने हिस्से की जमीन उसने भाई बसंत के परिवार को खेती-बारी करने के लिए दी थी। अगस्त 2019 में विदेशी गांव आया तो गांव के लोगों से पता चला कि उसके हिस्से की 35 डिसमिल जमीन को उसके भतीजों ने उसे मृत दर्शा खुद को वारिस बताकर बेच दी है। तसदीक की तो बात सही निकली। इसके बाद से विदेशी और उसके बच्चे अफसरों के यहां प्रार्थनापत्र लेकर घूमने लगे।
उसने खुद को जिंदा बताने के लिए एक महीने प्रशासनिक अफसरों के यहां चक्कर काटे। 19 सितम्बर 2019 को एसएसपी डॉ. सुनील गुप्ता को भी प्रार्थनापत्र दिया। एसएसपी ने विदेशी के प्रार्थनापत्र पर चिलुआताल थानेदार को आदेश दिया कि जांच कर तत्काल वैधानिक कार्रवाई करें। इस आदेश के बाद एसएसपी की चिट्ठी लेकर वह थाने पर दौड़ता रहा। जिंदा बताने के लिए परेशान विदेशी ने जब रविवार की दोपहर में दम तोड़ दिया तो सोमावर को पुलिस ने उसकी एफआईआर दर्ज कर उसे जिंदा माना।