प्रशासन ने सुधारी गलती, आजम के इलाज को मिले सवा लाख
बाबुओं की छोटी सी चूक के चलते अशोक बने आजम का इलाज पिछले 9 महीने से रुका हुआ था। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान द्वारा आजम की तकलीफ को प्रमुखता से प्रकाशित किए जाने के बाद रविवार को मुख्यमंत्री...
बाबुओं की छोटी सी चूक के चलते अशोक बने आजम का इलाज पिछले 9 महीने से रुका हुआ था। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान द्वारा आजम की तकलीफ को प्रमुखता से प्रकाशित किए जाने के बाद रविवार को मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से अस्पताल के खाते में सवा लाख रुपये पहुंच गए। नौ महीने बाद अब आजम का इलाज शुरू होगा। हुमांयूपुर निवासी आजम ने ‘हिन्दुस्तान के साथ ही स्थानीय पार्षद ऋषि मोहन वर्मा का आभार जताया है।
एडीएम कार्यालय के बाबू ने बीते 27 जनवरी को मुख्यमंत्री कार्यालय के विशेष सचिव को आजम की मदद की फाइल तो भेजी लेकिन बड़ी चूक कर दी। फाइल में पूरी रिपोर्ट आजम की थी लेकिन डिमांड लेटर पर मरीज का नाम और संदर्भ संख्या गलत लिख दी। फाइल पर आजम की जगह किसी अशोक नाम के मरीज का ब्योरा भेज दिया गया। मामला बीते 11 सितम्बर को तब चर्चा में आया जब आजम पार्षद ऋषि मोहन वर्मा के पास अपनी समस्या को लेकर पहुंचे।
पार्षद आजम को लेकर गोरखनाथ मंदिर पहुंचे तो वहां के प्रभारी वीरेन्द्र सिंह ने लखनऊ में अधिकारियों से बात की। पता चला कि फाइल पर मरीज का नाम गलत होने से मदद नहीं भेजी जा सकी है। इस प्रकरण को आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान ने प्रमुखता से उठाया जिसके बाद अधिकारी सक्रिय हुए। बता दें कि हुमांयूपुर उत्तरी निवासी आजम की किडनी में करीब पांच चाल पहले दिक्कत हुई थी। प्राइवेट काम कर किसी तरह इलाज का खर्च उठाने वाले आजम को सपा सरकार में 1.50 लाख और 1.03 लाख रुपये की मदद मिली जिससे उनकी डायलिसिस हुई। इसके बाद 2017 में 1.27 लाख रुपये की मदद मिली। दक्षिण भारत के एक अस्पताल में 6 दिसम्बर 2017 को पिता असलम द्वारा दी गई किडनी के ट्रांसप्लांट से आजम को नई जिंदगी मिली।
लखनऊ में चल रहा इलाज
आजम ने बताया कि लखनऊ के राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान से इलाज चलता है। दवाओं को लेकर अस्पताल प्रबंधन की तरफ से 2.50 लाख रुपये की डिमांड भेजी गई थी। शनिवार को अस्पताल प्रबंधन के खाते में सवा लाख की रकम मुख्यमंत्री के विवेकाधीन कोष से पहुंच गई है। अब इलाज में दिक्कत नहीं होगी।