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वाणिज्य कर विभाग का हाल: 50 फीसदी अफसर, क्लर्क कराते हैं प्राइवेट बाबुओं से काम

वाणिज्य कर विभाग में पचास फीसदी अफसर व क्लर्क प्राइवेट बाबुओं को साथ रखकर विभाग के काम कराते हैं। यह हाल केवल जोन मुख्यालय में ही नहीं, सभी खंडों, मंडलीय व उप मंडलीय कार्यालयों का है। विभाग में बाहरी...

वाणिज्य कर विभाग का हाल: 50 फीसदी अफसर, क्लर्क कराते हैं प्राइवेट बाबुओं से काम
कार्यालय संवाददाता ,गोरखपुुुर Mon, 05 Feb 2018 05:48 PM
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वाणिज्य कर विभाग में पचास फीसदी अफसर व क्लर्क प्राइवेट बाबुओं को साथ रखकर विभाग के काम कराते हैं। यह हाल केवल जोन मुख्यालय में ही नहीं, सभी खंडों, मंडलीय व उप मंडलीय कार्यालयों का है। विभाग में बाहरी दखल का मामला हद से पार कर जाने पर वाणिज्यकर के राज्य मुख्यालय ने सभी जोन मुख्यालयों के ज्वाइंट कमिश्नरों को कड़ा पत्र लिखा है। स्पष्ट चेतावनी दी है कि बाहरी लोगों को तत्काल कैंपस से बाहर करने का प्रमाण दें। मातहतों को सूचित कर दें कि कभी भी औचक जांच कराई जा सकती है। विभाग में कोई बाहरी काम करता पाया गया तो संबंधित अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 

- राज्य मुख्यालय ने भेजा कड़ा पत्र, औचक जांच व कड़ी कार्रवाई की दी चेतावनी
-कहा, साल भर पहले भी प्राइवेट लोगों को कैंपस से बाहर करने के दिए थे निर्देश
-अब तक निर्देश का पालन नहीं होने पर जताई चिंता, ज्वाइंट कमिश्नर को दी जिम्मेदारी

इस आशय का पत्र जारी करते हुए वाणिज्य कर उत्तर प्रदेश, लखनऊ की एडिशनल कमिश्नर प्रशासन सुधा वर्मा ने कहा कि साल भर पहले भी दो बार इस संबंध में सभी जोन मुख्यालयों को निर्देश जारी किए गए थे। बाहरी व्यक्तियों से काम कराने वालों की नकेल कसने के निर्देश दिए गए थे। बावजूद इसके यूपी वाणिज्य कर मिनिस्टीरियल स्टाफ एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने बताया है कि विभाग के कार्यालयों में पचास फीसदी के आस पास अफसर व कर्मचारी अब भी प्राइवेट बाबुओं से काम कराते हैं। राज्य मुख्यालय ने सभी ज्वाइंट कमिश्नरों से इस आशय का प्रमाण मांगा है कि उनके यहां किसी भी कार्यालय में कोई बाहरी आदमी काम नहीं करता। 

20 से 25 हजार महीना कमाते हैं प्राइवेट बाबू
वाणिज्य कर विभाग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि बाहरी आदमी लंबे समय से यहां काम करते हैं। हर दिन उनकी कमाई 5 सौ से हजार रुपये तक होती है। इन्हें रखने वाले अफसर या बाबू यह रकम नहीं देते। समझा जा सकता है कि रकम कहां से आती है। इन्हें रखने वालों में वह लोग शामिल हैं जो तकनीकी रूप से दक्ष नहीं हैं। कंप्यूटर विभागीय काम के लिए अनिवार्य किए जाने के बाद जो लोग कंप्यूटर नहीं सीख सके, उन लोगों ने कंप्यूटर चलाने के लिए निजी बाबू रख लिए हैं। यह सभी अफसर या क्लर्क के ठीक बगल में कुर्सी पर बैठते हैं। कारोबारी, टैक्स प्रिपेयरर या अधिवक्ता इन्हें विभागीय मान कर ही अपनी बात कहते हैं। चाहे फाइल खोजनी हो, चाहे अन्य कोई विभागीय काम संबंधित अफसर या क्लर्क भी इन्ही के भरोसे होते हैं। 

कई बार करा चुके हैं विभाग की किरकिरी
प्राइवेट बाबू कई बार विभागीय अफसरों की किरकिरी करा चुके हैं। विभाग के गोपनीय मेल आदि लीक कर चुके हैं। अफसर की बिना जानकारी के कारोबारियों की डिटेल में हेरफेर कर चुके हैं बावजूद इसके इन्हें इसलिए नहीं हटाया जा सका, क्यों कि विभाग के कुछ अफसर व क्लर्क अब भी पुराने ढर्रे पर काम कर रहे हैं। इन लोगों को कंप्यूटर तक चलाना नहीं आता और यह लोग सीखने को तैयार भी नहीं हैं। 

संसारचंद की गिरफ्तारी ने सख्ती को किया मजबूर
विभागीय सूत्रों का कहना है कि सेंट्रल जीएसटी के सीनियर कमिश्नर संसारचंद की गिरफ्तारी के बाद टैक्स वाले विभागों में हड़कंप की स्थिति है। जिस तरह से सीबीआई ने टैक्स वालों अफसरों के रैकेट का खुलासा किया उससे तमाम विभागों में डर पैदा हो गया है। माना जा रहा है कि वाणिज्य कर विभाग में राज्य मुख्यालय की कड़ी चिट्ठी भी उसी का असर है।  
 

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