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किश्तों में बिजली बिल जमा करने पर वसूल रहे 300 रुपये

केस एक सिद्धार्थनगर कालोनी के बीबी सिंह के यहां 40 हजार का बिजली बिल आया। वे शुक्रवार को गोलघर स्थित बिल काउण्टर पर 20 हजार रुपए जमा करने गए। कर्मचारी ने एसडीओ से आदेश कराने भेज दिया। एसडीओ  ने...

 किश्तों में बिजली बिल जमा करने पर वसूल रहे 300 रुपये
धर्मेन्‍द्र मिश्र ,गोरखपुर Mon, 16 Oct 2017 08:41 PM
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केस एक
सिद्धार्थनगर कालोनी के बीबी सिंह के यहां 40 हजार का बिजली बिल आया। वे शुक्रवार को गोलघर स्थित बिल काउण्टर पर 20 हजार रुपए जमा करने गए। कर्मचारी ने एसडीओ से आदेश कराने भेज दिया। एसडीओ  ने बीबी सिंह  से 300 रुपए आरसीडीसी चार्ज जमा कराया। 

केस दो
सिंघड़िया के हरेन्द्र तिवारी के यहां 20 हजार का बिजली बिल आया। वे मोहद्दीपुर बिल काउण्टर पर 10 हजार रुपए जमा करने गए। कर्मचारी ने एक्सईएन से आदेश कराने भेज दिया। एक्सईएन ने राजकुमार से 300 रुपए आरसीडीसी चार्ज जमा कराने के बाद आनलाइन बिलिंग सिस्टम में पार्ट पेंमेंट का आर्डर किया।
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केस तीन
बक्शीपुर के राममनोहर के दुकान का एक साल से बिल नहीं आ रहा था। काउण्टर पर रीडिंग दर्ज कराए तो 25हजार रुपए का बिल बना। एक साथ पूरा पैसा नहीं था। ऐसे में किश्त में भुगतान करने के लिए एक्सईएन से मिले। उन्होंने 550 रुपए आरसीडीसी चार्ज जमा कराने के बाद पार्ट पेमेंट का आदेश किया।
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सीएम के शहर में यह तीन मामले तो महज बानगी है। बिजली बकाए को किश्तों में जमा करने वाले उपभोक्ताओं की बिजली काटे बिना ही बिजली इंजीनियर री-कनेक्शन, डिस्कनेक्शन चार्ज की धड़ल्ले से वसूली कर रहे हैं। अप्रैल से अब तक करीब 11500 उपभोक्ताओ से 37 लाख रुपये की मनमानी वसूली हो चुकी है जबकि पार्ट पेमेंट पर आरसीडीसी चार्ज लेने का कोई आदेश नहीं है। बिजली इंजीनियरों की इस मनमानी पर रोक लगाने वाला कोई नही है। एसई का कहना है कि उपभोक्ता यदि आरसीडीस चार्ज नहीं देना चाहता है तो पूरा बिल जमा करें। अन्यथा उसे आरसीडीसी चार्ज जमा ही करना होगा।

बिजली इंजीनियर आरसीडीसी के मद में घरेलू कनेक्शन पर 300 और कामर्शियल पर 550 रुपए उपभोक्ताओं से जबरिया जमा करा रहे हैं। जानकारी के अभाव में उपभोक्ता भी विरोध नहीं कर रहे हैं। पावर कारपोरेशन के आदेश के मुताबिक बकाए पर कटे कनेक्शन को जोड़ने पर उपभोक्ता से बकाए बिल के साथ री-कनेक्शन और डिस्कनेक्शन चार्ज लिया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक ओएण्ड का पैसा पूर्वांचल एमडी कार्यालय से नहीं आने पर खण्डों के एक्सईएन व एसडीओ ,आरसीडीसी के पैसे से दफ्तर के मेंटीनेंस करा रहे है। इंजीनियरों के वाहन में डीजल भराने में आरसीडीसी की रकम इस्तेमाल हो रही है। 

मैनुअल रसीद क्यों?
विद्युत उपभोक्ता मंच का कहना है कि बिजली निगम में कनेक्शन से लेकर बिजल बिल जमा आनलाइन स्वीकार किया जाता है।जबकि आरसीडीसी चार्ज की रसीद मैनुअल कटती है। इंजीनियरों की उपभोक्ता विरोधी कार्यप्रणाली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है। आनलाइन जमा हुए पैसे की निगरानी पावर कारपोरेशन द्वारा की जाती है। यही वजह है कि इंजीनियर आरसीडीसी चार्ज की रकम आनलाइन जमा नही कराते है।
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एसई बोले

आनलाइन बिलिंग सिस्टम में आरसीडी चार्ज जमा कराने की अबतक व्यवस्था नहीं हो पाई है। अमूमन होता यह है कि जब डिस्कनेक्शन टीम बकाएदारों के कनेक्शन काटने पहुंचती है तब उपभोक्ता दौड़ते हुए बकाया जमा करने पहुंचते है। ऐसे में मान लिया जाता है कि बकाएदार का कनेक्शन कट गया। उस स्थिति में आरसडीसी चार्ज जमा कराया जाता है। 
ई. एके सिंह, अधीक्षण अभियंता
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