नई-पुरानी सभी कॉलोनियों में रहने वालों के लिए गुड न्यूज, अब ढूंढने नहीं पड़ेंगे सालों पुराने दस्तावेज
सभी ले आउट और नक्शों को डिजिटल कराने की दिशा में काम शुरू करा दिया है। उन नक्शों को भी ढूंढ़ ढूंढ़ कर डिजिटल किया जाएगा जो 5 से 7 दशकों से फाइलों में जर्जर हालत में हैं। बारिश, सीलन, दीमक से अक्सर ये दस्तावेज़ नष्ट हो जाते थे। संपत्ति से जुड़े मामलों में नागरिकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।

यूपी की राजधानी लखनऊ में रहने वालों के लिए राहत की खबर है। अब लोगों को 70-80 वर्ष पुरानी कालोनियों के ले आउट डिजिटली उपलब्ध होंगे। एलडीए शहर की सभी नयी-पुरानी कालोनियों के ले आउट और नक्शों को डिजिटल करने जा रहा है। इससे नागरिकों को वर्षों पुराने दस्तावेज़ ढूंढ़ने की झंझट से मुक्ति मिलेगी और एक क्लिक में अपनी कालोनी का ले आउट देख सकेगा।
शुक्रवार को बैठक में एलडीए वीसी प्रथमेश कुमार ने इस सम्बंध में बैठक की। अधिकारियों को इस पर तत्काल काम शुरू करने का निर्देश दिया है। बैठक में अपर सचिव ज्ञानेन्द्र वर्मा, सहायक अभियंता अतुल शर्मा, ओएसडी आईटी सेल तथा पीएमसी टीम के सदस्य शामिल थे।
एलडीए उपाध्यक्ष ने कहा कि सभी ले आउट और नक्शों को डिजिटल कराने की दिशा में काम शुरू करा दिया है। उन नक्शों को भी ढूंढ़ ढूंढ़ कर डिजिटल किया जाएगा जो पांच से सात दशकों से फाइलों में जर्जर हालत में हैं। बारिश, सीलन, दीमक से अक्सर ये दस्तावेज़ नष्ट हो जाते थे, जिससे संपत्ति से जुड़े मामलों में नागरिकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।
पुरानी फाइलों से छुटकारा मिलेगा
डिजिटलीकरण से जहां कागज़ी फाइलों का बोझ कम होगा, वहीं प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता भी बढ़ेगी। नक्शे की नकल लेने में लगने वाला समय बचेगा, और गुम होने या हेरफेर जैसी समस्याओं पर रोक लगेगी।
एलडीए के 600 लेआउट डिजिटल होंगे
एलडीए की अपनी कालोनियों और अपार्टमेंट के करीब 600 ले आउट व नक्शे पहले चरण में डिजिटल किए जा रहे हैं। इसके साथ ही जिन करीब 1000 प्राइवेट बिल्डरों के नक्शे व ले आउट एलडीए ने पास किए हैं उसे भी डिजिटल किया जा रहा है। इनके डिजिटल होने बाद इन कलोनियों के नक्शे कोई भी देख सकेगा।
मास्टर प्लान से जुड़ेगा नक्शा और लेआउट
डिजिटल करने के साथ कालोनियों के नक्शे व ले आउट को एलडीए के मास्टर प्लान से भी जोड़ा जाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा लोगों को यह होगा कि वह किसी ठगी में नहीं फंस पाएंगे। प्लाट व मकान खरीदने वाले लोग यह देख सकेंगे कि वह जहां इसे ले रहे हैं उसका नक्शा पास है या नहीं।