माफिया की संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई तेज करें : डीआईजी
माफिया की संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई तेज करें : डीआईजी - मंडल के पुलिस

माफिया की संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई तेज करें : डीआईजी
- मंडल के पुलिस अफसरों के साथ डीआईजी ने की कानून व्यवस्था की समीक्षा
- चिन्हित माफिया के विरुद्द प्रभावी कार्रवाई न होने पर जताई नाराजगी
गोण्डा, संवाददाता। डीआईजी उपेंद्र अग्रवाल ने गुरुवार को रेंज के पुलिस अफसरों के साथ बैठककर कानून व्यवस्था की समीक्षा की। उन्होंने चिन्हित माफियाओं के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई में ढिलाई पर नाराजगी जताई और माफिया के सम्पत्ति के कुर्की की कार्रवाई तेज करने के निर्देश दिए। डीआईजी ने संगीन मामलों के साथ ही महिलाओं से संबंधित अपराधों की विवेचना की भी समीक्षा की और आवश्यक दिशा निर्देश दिए। नगर निकाय चुनाव पर भी चर्चा की गई।
उन्होंने कहा कि शासन स्तर से 50 माफिया चिन्हित किये गये हैं। जिसकी साप्ताहिक प्रगति आख्या एडीजी कानून व्यवस्था को भेजी जाती है। चिन्हित माफिया देवेन्द्र सिंह उर्फ गब्बर व रिजवान ज़हीर के विरुद्ध अपेक्षित कार्यवाही नहीं की जा रही है। विशेषकर देवेन्द्र सिंह की अथाह सम्पत्ति अभी भी कुर्क किया जाना शेष है। साथ ही इनके विरुद्ध लम्बित विवेचनाओं में भी लापरवाही बरती जा रही है। इनकी गिरोहबन्द अधिनियम के अन्तर्गत अवैध सम्पत्ति जब्तीकरण, ध्वस्तीकरण की कार्यवाही स्थानीय प्रशासन से मिलकर प्राथमिकता के आधार पर कराना सुनिश्चित करें । साथ ही इनके गैंग मेम्बरों के सदस्यों की पहचान कर उनके विरूद्ध कार्यवाही की जाए और आय के अवैध तरीकों को पता कर उनके विरूद्ध कार्यवाही की जाए।
फर्जी बैनामों पर सख्ती : उन्होंने कहा कि जनपदों में फर्जी बैनामों आदि करने का गैंग सक्रिय है। उनके पिछले 10 वर्षों की मुकदमों की सूची भी निकाली जाये। यदि ऐसे भू-माफियाओ के विरुद्ध पूर्व में कोई आरोप पत्र प्रेषित किया गया है तो उसका सत्यापन करते हुए गैंगस्टर एक्ट के अन्तर्गत कार्यवाही करते हुए अवगत कराया जाये।
झूठे मुकदमों की हो मानीटरिंग : कहा कि परिक्षेत्र के जनपदों में कुछ झूठे मुकदमें हत्या, छेडखानी, बलात्कार आदि के दर्ज कराये गये हैं । कुछ प्रकरण ऐसे है जहाँ नदी में डूबने अथवा एक्सीडेन्ट से मृत्यु होना प्रमाणित है फिर भी मृतक के परिवारीजन द्वारा हत्या का मुकदमा पंजीकृत कराया जाता है। ऐसे मुकदमों की विवेचना की मानीटरिंग किये जाने की आवश्यकता है। गम्भीर अपराध के मुकदमों की विवेचना की मानीटरिंग पुलिस अधीक्षक करें व समय निश्चित करते हुए ऐसे मुकदमों को खारिज अथवा अन्तिम रिपोर्ट भिजवायेंगे । इसी प्रकार से कम गम्भीर अपराधों की समीक्षा अपर पुलिस अधीक्षक करें। कई मुकदमों में फर्जी नामजदगी भी की जाती है उनमें मात्र विवेचक को यह निर्देश देना कि निर्दोष का नाम निकाल दिया जाये, पर्याप्त नही है। बल्कि उस मुकदमें की समय निश्चित करते हुए विवेचना से नाम निकाल कर कोर्ट भेजे जाने की आख्या भी मांगी जाये। डीआईजी ने दहेज हत्या, अवैध कटान और खनन, तस्करी के मामलों पर भी आवश्यक दिशा निर्देश दिए। डीआईजी ने कुल 18 विन्दुओं पर अफसरों के साथ समीक्षा की और निर्देश दिए।
