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पांच रुपये के दो लाख टिकट पर छाएंगे महाराजा सुहेलदेव

पृथ्वीराज चौहान और संत गणिनाथ की स्मृति में डाक टिकट जारी करने के बाद अब महाराजा सुहेलदेव का स्मारक टिकट जारी किया जाएगा। शहर के आरटीआई मैदान में हजारों लोगों की मौजूदगी में प्रधानमंत्री नरेंद्र...

पांच रुपये के दो लाख टिकट पर छाएंगे महाराजा सुहेलदेव
हिन्दुस्तान टीम,गाजीपुरTue, 18 Dec 2018 11:06 PM
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पृथ्वीराज चौहान और संत गणिनाथ की स्मृति में डाक टिकट जारी करने के बाद अब महाराजा सुहेलदेव का स्मारक टिकट जारी किया जाएगा। शहर के आरटीआई मैदान में हजारों लोगों की मौजूदगी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका विमोचन करेंगे।डाक विभाग की ओर से महाराजा सुहेलदेव राजभर की तस्वीर के साथ पांच रुपये कीमत के दो लाख टिकट जारी किए जा सकते हैं। विभाग की डिजाइन पर संचार राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने मुहर लगा दी है और 29 दिसंबर को यह डाक टिकट देश भर के प्रमुख डाकघरों में प्रयोग किए जाएंगे। सुहेलदेव के नाम पर पहले गाजीपुर से ट्रेन का संचालन भी शुरू किया गया है।

देश में डाक टिकट का इतिहास उतना ही पुराना है, जितनी कि देश की आजादी। गांधी से लेकर नेहरू और अब सुहेलदेव तक डाक टिकटों की विकास यात्रा भी अलग ही है। भारत सरकार महाराजा सुहेलदेव राजभर को स्वर्णिम इतिहास के साथ उनकी स्मारक डाक टिकट जारी करेगा। प्रधानमंत्री की ओर से विमाेचन गाजीपुर में होगा, लेकिन यह डाक टिकट देशभर में प्रयोग किया जाएगा।

डाक विभाग की तैयारियों के अनुरूप महाराजा सुहेलदेव पांच रुपये के दो लाख टिकट पर छाएंगे। इनकी कीमत कुल दस लाख रुपये होगी। वाराणसी के साथ गाजीपुर क्षेत्र में 20 हजार से अधिक टिकट प्रयोग में लाए जाएंगे, वहीं देश भर के प्रमुख डाकघरों में इसे पहुंचाने की तैयारी है। पूर्वांचल के प्रमुख डाकघरों समेत देश भर में इसकी संख्या को तय किया गया है। विमोचन के दो-तीन दिन पहले ही डाक टिकट इन केंद्रों पर पहुंचाई जाएंगी, जिनका विमाेचन के बाद प्रयोग होगा।

बुकलेट और विशेष लिफाफे का पीएम करेंगे विमोचन की तैयारी

भारतीय डाक विभाग के वरिष्ठतम अधिकारी की माने तो प्रधानमंत्री मंच पर महाराजा सुहेलदेव की फोटो लगी डाक टिकट की पूरी बुकलेट का विमोचन करेंगे। इसके साथ टिकट प्रारूप लगा विशेष लिफाफा भी संलग्न होगा। इस टिकट की बुकलेट और लिफाफे को विभाग स्मृति के रूप में भी संजोएगा। कई डिजाइन पर मंथन के बाद संचार राज्यमंत्री मनोज सिन्हा की संस्तुुति से एक डाक टिकट का प्रारूप और संख्या तय हो गई है। डिजाइन को प्रिंटिंग के लिए भी भेज दिया गया है। हालांकि इसका साइज सामान्य डाक टिकट के फार्मैट में होगा।

टिकट का दाम 'आना' से 'रुपये' तक

देश में डाक टिकट की यह राशि 1947 तक 'आना' में ही रही, जबकि रुपए की कीमत 'आना' की जगह बदल कर '100 नए पैसे' में कर दी गई। वैसे 1964 में पैसे के साथ जुड़ा 'नया' शब्द भी हटा दिया गया। 1947 में एक रुपया '100 पैसे' का नहीं बल्कि '64 पैसे' यानि 16 आने का होता था और इकन्नी, चवन्नी और अठन्नी का ही प्रचलन था। देश मे भेजे जाने वाली डाक के लिए पहले डाक टिकट पर अशोक के राष्ट्रीय चिन्ह का चित्र मुद्रित किया गया। इसकी कीमत डेढ़ आना थी। इसी तरह विदेश में भेजे जाने वाले पत्रो के लिए पहले डाक टिकट पर डीसी चार विमान का चित्र बना हुआ था, उसकी राशि बारह आना यानि 48 पैसे की थी। अब सुहेलदेव पर यह टिकट पांच रुपये का जारी होगा।

डाक टिकटों में महात्मा गांधी सबसे आगे

आजाद भारत में महात्मा गांधी ऐसे पहले भारतीय थे, जिन पर डाक टिकट जारी किया गया था। देश में अब तक जितनी भी हस्तियों पर डाक टिकट जारी किए गए हैं, उनमें से सबसे ज्यादा टिकट महात्मा गांधी के नाम पर ही जारी हुए थे। भारत में अब तक कई लोगों के नाम पर डाक टिकट जारी हो चुके हैं। इसमें से कुछ डाक टिकट प्रचलन में नहीं आए। उन्हें केवल सम्मान स्वरूप प्रकाशित किया गया है।

डाक विभाग का पुराना सफर

वर्ष 1766 में यानी 252 साल पहले भारत में डाक व्यवस्था शुरू हुई।

1774 में वारेन हेस्टिंग्स ने कोलकाता में पहला डाकघर स्थापित किया था।

1852 में भारत में पहली बार चिट्ठी पर डाक टिकट लगाने की शुरूआत हुई थी।

01 अक्टूबर, 1854 को भारत में महारानी विक्टोरिया के चित्र वाला डाक टिकट जारी हुआ था।

01 अक्टूबर, 1854 को भारत में एक विभाग के तौर पर डाक विभाग की स्थापना हुई थी।

1.50 लाख से अधिक पोस्ट ऑफिस हैं भारत में। 89.87 फीसद पोस्ट ऑफिस ग्रामीण क्षेत्रों में हैं।

20 अगस्त 1991 को भारत में सबसे बड़ा डाक टिकट पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर जारी हुआ था।

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