हनुमान ने किया लंका का दहन
करंडा। रामलीला समिति चकिया की ओर से लीला के आठवें दिन लंका दहन का मंचन

करंडा। रामलीला समिति चकिया की ओर से लीला के आठवें दिन लंका दहन का मंचन किया गया। इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्शक जुटे रहे, जो अंत तक बने रहे। मंचन में श्रीराम सुग्रीव से मित्रता करने के बाद सुग्रीव को किष्किंधा का राजा बना देते हैं। इसके बाद श्रीराम, लक्ष्मण, सुग्रीव, जामवंत, हनुमान, अंगद आदि सब आगे की रणनीति पर चर्चा करते हैं। इसके बाद सुग्रीव की पूरी सेना माता सीता की खोज में निकल पड़ते हैं। जब पता चलता है कि माता सीता समुद्र पार लंका में हैं, तब वहां जाने के लिए हनुमान जी की शक्ति याद दिलायी जाती है। जहां याद आते ही वह लंका जाने को तैयार हो जाते हैं और समुद्र पार कर लंका पहुंचते हैं, जहां वह देखते हैं कि रावण, माता सीता को डराता धमका रहा है। यह देख हनुमान जी क्रोधित होने के साथ ही बहुत दु:खी भी होते हैं। रावण के वहां से जाने के बाद वह माता सीता से मिलते हैं और अपना परिचय देते हैं। इसके बाद हनुमान जी रावण के वाटिका से फल खाने चले जाते हैं। जहां राक्षसों से मुठभेड़ होती है और राक्षस मारे जाते हैं। इसकी खबर रावण को मिलती ही वह गुस्से में आ जाता है और हनुमान जी को मारने की बात करता है, लेकिन विभीषण जी के मना करने पर रावण, हनुमान जी की पूंछ में आग लगवा देता है। तब हनुमान अपनी शक्ति का परिचय देते हुए अपनी पूंछ में लगी आग से पूरी लंका का दहन कर देते हैं। इस पूरे लीला को देख दर्शक काफी उत्साहित मुद्रा में जय श्रीराम, जय हनुमान का उदघोष करते रहे। दर्शक पूरी तरह आनंदित नजर आये। लीला में लव कुमार, क्रांति, पीयूष, आशीष, उपेंद्र, आदेश, संतोष, कमलेश, अमरजीत, कृष्णानंद, टनटन, प्रद्युम्न, बृजेश आदि ने पात्रों की अहम भूमिका निभाई।
