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गाजीपुर: ठंड में ठिठुर रहे कटान पीड़ितों को मदद की दरकार

एक तरफ प्रकृति की मार दूसरी तरफ सरकार की मार। वर्तमान समय में दोहरी मार से तड़प रहे हैं सेमरा गांव के कटान पीड़ित। गंगा कटान से अपना आशियाना खो चुके कटान पीड़ित इस समय जूनियर हाई स्कूल मुहम्मदाबाद में...

गाजीपुर: ठंड में ठिठुर रहे कटान पीड़ितों को मदद की दरकार
हिन्दुस्तान टीम,गाजीपुरTue, 18 Dec 2018 11:03 PM
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एक तरफ प्रकृति की मार दूसरी तरफ सरकार की मार। वर्तमान समय में दोहरी मार से तड़प रहे हैं सेमरा गांव के कटान पीड़ित। गंगा कटान से अपना आशियाना खो चुके कटान पीड़ित इस समय जूनियर हाई स्कूल मुहम्मदाबाद में शरणार्थी शिविरों में शरण लिए हुए हैं। वहीं कई लोग यूसुफपुर मंडी समिति, सेमरा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय व गांव तक जाने वाली सड़क के किनारे प्लास्टिक की झोपड़ी डालकर जीवन बसर कर रहे हैं। प्रशासनिक उपेक्षा के शिकार यह सभी कटान पीड़ित इन दिनों ठंड व गलन की मार भी झेलने को मजबूर हैं। न तो इनके पास रहने आवास है, न भोजन का ठिकाना और अब इस कड़ाके की ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़े तक मयस्सर नहीं है। ऐसे में यहां निवास कर रहे कटान पीड़ितों के छोटे-छोटे नन्हे बच्चे ठंड में ठिठुरने को विवश हैं। अभी तक इन पीड़ितों को प्रशासन की तरफ से गर्म कपड़े या कंबल तक नहीं मुहैया कराया गया, ताकि वह ठंड से बच सके। जबकि तहसील प्रशासन अन्य गांवों में पहुंचकर कंबल बांटकर अपना कोरम पूरा कर रहा है। इससे नाराज होकर मंगलवार को प्रवासी कटान पीड़ित अपने बच्चों के साथ जूनियर हाईस्कूल में तहसील प्रशासन के विरोध में प्रदर्शन कर अपने हक की मांग की। इन कटान पीड़ितों में अमरनाथ राम सुखदेव, मुनिया देवी आदि ने कहा कि एसडीएम व तहसीलदार बता रहे हैं कि अभी कंबल ही नहीं आया है, जबकि अखबारों में हम लोग रोज देखते हैं कि सिर्फ राजनीतिक लोगों के कहने पर दूसरे गांव में कंबल वितरण का आयोजन इनके द्वारा किया जा रहा है। बताया कि पांच वर्ष बीत गए, लेकिन हम गरीबों का कोई सुनने वाला नहीं है। चुनाव आता है, तो सारी पार्टियों के लोग यहां आकर लोकलुभावने वादे करने लगते हैं। वोट लेने के बाद अपने किए गए सारे वादों से मुकर जाते हैं। कहा कि प्रशासनिक उपेक्षा के चलते हम अपने बच्चों को इस ठंड ठिठुरते देखने को विवश हैं। शायद ही कोई ऐसा हो जो हम सभी की स्थिति देख उसका हृदय द्रवित न होता हो। किसी ने ठीक ही कहा है गरीबी शब्द धर्म की नास होती है।

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