परमात्मा के प्रति अनुरागी का हो जाता है उद्धार
परमात्मा के प्रति अनुरागी का हो जाता है उद्धार
क्षेत्र के देवचंदपुर स्थित हनुमान मंदिर पर प्रवचन करते हुए जयप्रकाश दास फलहारी महाराज ने कहा कि जिसके जीवन में परमात्मा के प्रति अनुराग हो जाता है, उसका उद्धार हो जाता है। राम कथा समाज का दर्पण है, जो देता है वही देवता है। परमात्मा को प्राप्त करने के लिए बाहरी आचार-विचार, व्रत, तप, तीर्थ तथा किसी वेशभूषा की जरूरत नहीं होती है। फलहारी दास ने कहा कि जीव इस धराधाम पर क्यों आया है, क्या कर रहा है। नर तन पाने का असली उदेश्य क्या है। माया में फंसकर भूल वैठा है। कमल की जड़ पानी में होता है, परन्तु फूल सदैव ऊपर रहता है। इसी प्रकार जीव को माया रूपी संसार में रहते हुए सदैव अलग रहना चाहिए। परमात्मा बाहर नहीं है, वह हमारे शरीर के अंदर मौजूद है। परन्तु इन आंखों से नहीं देखा जा सकता है, उसे सच्चा सद्गुरू या संत ही दिखा सकता है। परमात्मा जिज्ञासा का विषय है, परीक्षा का नहीं। सती ने परीक्षा ली, जिसके चलते पति द्वारा त्याग दी गयी। सेबरी ने प्रतिक्षा किया, उसे भगवान का दर्शन मिला। सूपर्णखा ने समीक्षा किया, जिसके चलते नाक, कान विहीन होकर कुरुप होना पड़ा। जिसका चरित्र ऊंचा होता है, उसकी पूजा होती है।