वामन अवतार, समुद्र मंथन और भक्त प्रहलाद प्रसंग सुनाया
भागवत कथा में बुधवार को चौथे दिन सुभाष गांव में चल रही कथा में भागवत भूषण ब्रह्मर्षि उपेंद्रजी महाराज ने भगवान विष्णु के वामन अवतार, समुद्र मंथन, भक्त प्रहलाद के प्रसंग...
भागवत कथा में बुधवार को चौथे दिन सुभाष गांव में चल रही कथा में भागवत भूषण ब्रह्मर्षि उपेंद्रजी महाराज ने भगवान विष्णु के वामन अवतार, समुद्र मंथन, भक्त प्रहलाद के प्रसंग सुनाए।
भागवत भूषण ब्रह्मर्षि उपेंद्र ने कहा कि इस समुद्र मंथन यानि हमारा मन ही मंदराचल पर्वत है, संयम की डोर वासुकि नाग है, मंथन ही मनन है जिसमें कभी अच्छे भाव आते हैं तो कभी बुरे भाव आते हैं। अच्छे भाव ही देवता है, जिनसे मन जुड़ने का प्रयास करता है और बुरे भाव असुर हैं जिनसे मन हटने का प्रयास करता है। उन्होंने आगे कहा कि जब मंथन होता है तब विषय रूपी विष एवं अनेक प्रलोभन आते रहते हैं। अमृत तो अंत में निकलता है जो साधक विषय एवं प्रलोभनों को पार करते हुए निरंतर मंथन अर्थात मनन करता रहता है उसे ही अमृत की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर कथा आयोजक मुख्य यजमान पंडित कमलाकांत पांडे ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया।कथा में प्रमुख रूप से उपरेहित पं सुरेन्द्र शुक्ल, हरिशंकर तिवारी, दिनेश पांडेय, सच्चिदानंद शुक्ल, अवधेश कुमार, अशोक मिश्र, डीपी शुक्ल अध्यक्ष प्रधान संघ,मुन्ना सिंह,लक्ष्मी कांत पाण्डेयआदि लोग उपस्थित रहे।