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पांती में बह रही मानस कथा की बयार

पांती मेजारोड प्राचीन सिद्ध हनुमान मंदिर में चल रही मानस कथा के दूसरे दिन भी भक्तरस की धार बही। कथावाचक मानस चंचरीक पं. जय प्रकाश मिश्र ने कहा कि बिनु सत्संग विवेक न होई, राम कृपा विनु सुलभ न सोई।...

पांती में बह रही मानस कथा की बयार
हिन्दुस्तान टीम,गंगापारFri, 30 Oct 2020 02:31 PM
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पांती मेजारोड प्राचीन सिद्ध हनुमान मंदिर में चल रही मानस कथा के दूसरे दिन भी भक्तरस की धार बही। कथावाचक मानस चंचरीक पं. जय प्रकाश मिश्र ने कहा कि बिनु सत्संग विवेक न होई, राम कृपा विनु सुलभ न सोई। मनुष्य को सत्संग करना चाहिए। कहीं भी कथा होती हो उसका श्रवण करने से मनुष्य के अंदर ज्ञान बढ़ता है।

मानस चंचरीक ने कहा कि एक बार पार्वती जी को इस बात का संशय हो गया कि राम भगवान हैं कि नहीं तो शंकर जी ने उन्हें श्रीराम कथा सुनाकर बतला दिया कि मानव के रूप में श्री राम लीला कर रहे हैं, वह साक्षात नारायण हैं। इससे पूर्व वाराणसी से पहुंचे रामसृरत महराज तथा अलोपीबाग प्रयागराज से पहुंचे स्वामी धराचार्य जी महराज ने मानस प्रवचन कर श्रोताओं का ध्यान आध्यात्म की ओर खींचा। नौ दिवसीय मानस कथा श्रवण में इंजीनियर नित्यानंद उपाध्याय, विजयानंद उपाध्याय, सिद्धान्त तिवारी, मनीष उपाध्याय, आशीष उपाध्याय, अजीत पांडेय, गुलाब शंकर शुक्ल, जटाशंकर शुक्ल, मंटू मिश्र, राम सागर उपाध्याय, अरूण मिश्र, रमेश ओझा, प्रेम सागर उपाध्याय, रमेश ओझा, पं. देवी प्रसाद मिश्र, अखिल उपाध्याय सहित कई श्रोता उपस्थित रहे।

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