रोहिणी नक्षत्र के शुभ संयोग में सुहागिनों का करवा चौथ व्रत आज
करवा चौथ महज एक व्रत नहीं, बल्कि सूत्र है विश्वास का कि हम साथ-साथ रहेंगे। आधार है जीने का कि हमारा साथ न...
करवा चौथ महज एक व्रत नहीं, बल्कि सूत्र है विश्वास का कि हम साथ-साथ रहेंगे। आधार है जीने का कि हमारा साथ न छूटे।
सुहागिनें आज यानी गुरुवार को करवा चौथ पर चलनी से पति का दीदार करेंगी, पति भी उन्हें करवा से पानी पिलाकर उनका व्रत तोड़वाएंगे। सुहागिनें पति की लम्बी आयु और परिवार की खुशहाली के लिए करवाचौथ का व्रत रखेंगी। इस बार करवा चौथ पर रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगल का योग होना अधिक मंगलकारी माना जा रहा है। इस दिन चतुर्थी माता और गणेश जी की पूजा होगी।
पांच चीजों के बिना अधूरा रहता है करवा चौथ का व्रत
सरगी का उपहार- सरगी से ही करवा चौथ के व्रत का प्रारंभ होता है। माना गया है हर सास अपनी बहू को सरगी देती है। सरगी में मिठाई फल आदि होता है जो बहू सूर्योदय से पहले खाती है। इससे पूरे दिन व्रती को ऊर्जा मिलती है।
निर्जला व्रत का विधान
- करवा चौथ का व्रत निर्जला रखा जाता है। व्रती सुहागिन को अपने कठोर व्रत से माता गौरी व शिवजी को प्रसन्न कर अखंड सुहाग और सुखी दाम्पत्य जीवन का आशीर्वाद मिलता है।
शिव और गौरी का पूजन
- करवा चौथ के व्रत में गणेशजी, शंकर जी और माता गौरी की पूजा करके सुहागिनें अखंड सौभाग्य के साथ यश कीर्ति की प्राप्ति करती हैं।
शिव गौरी की मिट्टी की प्रतिमा
- करवा चौथ की पूजा के लिए शिव गौरी,गणेश की प्रतिमा चौकी पर लाल वस्त्र के उपर स्थापित करके माता गौरी को सिंदूर, बिन्दी, चुनरी व शिवजी को चंदन पुष्प और वस्त्र आदि चढाए जाते हैं और गणेशजी उनकी गोद मे बैठते हैं।
कथा श्रवण
-शाम होते ही सुहागिनें एकत्र होकर पुरोहित या बुजुर्ग महिला से करवा चौथ कथा सुनती है। इसके बाद चंद्रमा के निकलने पर उसे अर्घ्य देती हैं और पानी पीकर व्रत को तोड़ती हैं।
सत्तर वर्ष बाद बन रहा दुर्लभ संयोग
इस वर्ष करवा चौथ का व्रत बहुत ही सुखद संयोग लेकर आ रहा है। आचार्य केशव जी ने बताया कि ज्योतिष गणना के अनुसार इस वर्ष चन्द्रदेव अपनी पत्नी रोहिणी के साथ उदय होंगे। अर्थात इस वर्ष चंद्रोदय रोहिणी नक्षत्र में होगा जो व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए मनोवांछित फल देने वाला होगा। ऐसा दुर्लभ संयोग सत्तर वर्ष के बाद बन रहा है।
व्रत रखने वाली महिलाएं इन कार्यों से बचें
आचार्य विनोद शास्त्री के अनुसार करवा चौथ का व्रत रखने वाली सुहागिनों को कैंची, सुई आदि के प्रयोग से बचना चाहिए। इस दिन कपड़ा, सब्जी आदि न काटें। सिलाई, कढ़ाई या बटन टांकने जैसे कार्यों से बचना चाहिए। इस पर्व पर सफेद कपड़ा, सफेद फूल, दूध, दही आदि का दान नहीं करना चाहिए। पूजा के समय काला या सफेद वस्त्र नहीं पहनना चाहिए क्योंकि काला वस्त्र नकारात्मकता का रंग माना जाता है तो सफेद वस्त्र वैधव्य का प्रतीक है।
राशि के अनुसार पहने वस्त्र
करवा चौथ व्रत में पूजा के समय मेष राशि के लोगों को लाल या सुनहरा, वृष राशि वालों को लाल, मिथुन राशि के लिए हरा, कर्क राशि के लिए लाल, सिंह राशि के लिए गुलाबी, कन्या राशि के लिए लाल या हरा, तुला राशि के लिए लाल, वृश्चिक राशि के लिए मैरून, धनु राशि के लिए पीला या आसमानी, मकर राशि के लिए नीला, कुंभ राशि के लिए आसमानी तथा मीन राशि के लोगों को लाल या सुनहरे रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए।
करवा चौथ व्रत मुहूर्त
चतुर्थी 17 अक्तूबर को सुबह 6-48 बजे से 18 अक्तूबर सुबह 7-29 बजे तक है। चौथ व्रत का समय सुबह 6-23 बजे से रात्रि 8-17 बजे तक है। पूजा का मुहूर्त शाम 5-51 बजे से 7-06 बजे तक उत्तम है तथा इस दिन चंद्रोदय रात्रि 8-17 बजे होगा।