मंथरा के बहकावे में आईं रानी कैकेयी
अयोध्या राज्य के उत्तराधिकारी और युवराज के रूप में अयोध्या नरेश राजा दशरथ ने जब बड़े पुत्र रामचन्द्र को घोषित किया तब दासी मंथरा ने छोटी रानी कैकेयी के समक्ष जाकर उनको बरगलाया। कहा कि वह अपने पुत्र...
अयोध्या राज्य के उत्तराधिकारी और युवराज के रूप में अयोध्या नरेश राजा दशरथ ने जब बड़े पुत्र रामचन्द्र को घोषित किया तब दासी मंथरा ने छोटी रानी कैकेयी के समक्ष जाकर उनको बरगलाया। कहा कि वह अपने पुत्र भरत के लिये राजगद्दी मांगे। दिग्भ्रमित रानी कैकेयी रूठ कर कोपभवन में चली गईं। उनको मनाने गये अयोध्या नरेश से रानी ने अपने पुराने वचन को पूरा करने के क्रम में भरत को राजगद्दी और राम को वनवास मांग लिया।
प्रतिज्ञाबद्ध राजा को रानी की मांग को तड़पते हुए मानना पड़ा। इसकी सूचना मिलते ही पूरे अयोध्या में करुण विलाप के स्वर और रुदन शुरू गया। रानी कैकेयी और मंथरा की भर्त्सना शुरू हो गई। लेकिन प्रभु राम ने सहर्ष ही इसको स्वीकार कर लिया। इसी प्रसंग पर शुक्रवार रात फूलपुर में हो रहे रामलीला में मंचन किया गया। राम वनवास के भावपूर्ण अभिनय पर दर्शकों की आंखों में आंसू झरने लगे। राम, लक्ष्मण, जानकी, दशरथ और कैकेयी का अभिनय करने वालो पात्रों ने सराहनीय अभिनय किया। मौके पर कमेटी अध्यक्ष लक्ष्मीकांत मिश्रा काका, डा.कमलेश मिश्रा,शैलेंद्र भारती, विजय कांत, रवि पांडेय, ननकऊ मिश्रा, रोहित केशरी, आशुतोष, अनूप उपाध्याय आदि मौजूद रहे।