राम को चौदह वर्ष का वनवास, दशरथ हुए अधीर
जय मां शारदा रामलीला नाट्य समिति परसरा बसंती के मंच पर मंगलवार की रात राम वन गमन की लीला का मंचन किया गया। कैकेई के द्वारा राम को चौदह वर्षों का...
घूरपुर। हिन्दुस्तान संवाद
जय मां शारदा रामलीला नाट्य समिति परसरा बसंती के मंच पर मंगलवार की रात राम वन गमन की लीला का मंचन किया गया। दशरथ और कैकेई का संवाद सुन दर्शक मंत्र मुग्ध हो गए। कैकेई के द्वारा राम को चौदह वर्षों का वनगमन और भरत को राज्य मांगते ही दशरथ बदहवास हो गए ।
रामलीला के मंचन के पूर्व सबसे पहले प्रथम पूज्य गणेश की वंदना की गई। उसके बाद मंच पर चक्रवर्ती नरेश दशरथ का दरबार लगा। दशरथ ने गुरुदेव वशिष्ठ से राम को राज्य सौंपने की इच्छा जताई तो उन्होंने सहमति दी। कैकेई के पास पहुंची मंथरा ने राजा दशरथ के प्रति जहर घोला और अपने दो वरदानों को मांगने की बात कही और कोपभवन में भेज दिया। दशरथ ने कैकेई से कोपभवन में आने का कारण पूछा। कैकेई ने राम की शपथ खिलाने के बाद भरत को राज्य और राम को चौदह वर्ष के लिए वनवास मांग लिया। राम को वनवास मांगते ही दशरथ बेहोश होकर भूमि पर गिर गए। दशरथ का करुण क्रंदन भरा विलाप सुन दर्शकों की आखों में पानी आ गया। मंचन में व्यास गद्दी पर शिवाजी द्विवेदी, छविनाथ द्विवेदी, रामगरीब, भूपेंद्र पाठक, राजधर द्विवेदी, जागृत कुमार पांडेय, अविनाश त्रिपाठी, अभिषेक शुक्ल, बुद्धिप्रकाश द्विवेदी, शशिकांत पांडेय, लालमन पाल, शुभम आदि लोग मौजूद रहे।