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पति-पत्नी समेत छह की मौत से दहशत, ग्रामीण कर रहे पीपल की पूजा

काशी जाकर गंगा में मिलने वाली वरुणा नदी के उदगम स्थल वरुणा बाजार के करीब ही हरभानपुर ग्राम पंचायत का मजरा खोजापुर बरना है। इस एक मजरे में ही...

पति-पत्नी समेत छह की मौत से दहशत, ग्रामीण कर रहे पीपल की पूजा
हिन्दुस्तान टीम,गंगापारTue, 18 May 2021 03:52 AM
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फूलपुर। हिन्दुस्तान संवाद

काशी जाकर गंगा में मिलने वाली वरुणा नदी के उदगम स्थल वरुणा बाजार के करीब ही हरभानपुर ग्राम पंचायत का मजरा खोजापुर बरना है। इस एक मजरे में ही पति-पत्नी समेत छह लोगों की मौत हो गई। इससे गांव के लोग डरे हैं। कोविड से जांच कराने से तो हिचक रहे हैं लेकिन बचाव के लिए यह सभी पीपल के पेड़ की पूजा कर रहे हैं। सोमवार सुबह भी यहां का नजारा कुछ ऐसे ही था। पीपल के पेड़ पर दर्जनों महिलाएं जल चढ़ाते और पूजन करते मिलीं। बताया गया कि रोज सुबह होते ही पीपल के वृक्ष के नीचे मेला जैसा नजारा हो जाता है। महिलाएं प्रतिदिनप सुबह पीपल की पूजा कर गांव की मंगल कामना कर रही हैं। मजरे में घुसने पर तो लोग घरों में ही सिमटे दिखे। किसी से कुछ पूछने की कोशिश हुई तो लोग घर के अंदर हो गए।

आगे बढ़ने पर एक घर मिला। इस घर के अवधेश त्रिपाठी जो प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक हैं ने बताया कि सबसे पहले गांव के शोभनाथ यादव एडवोकेट जो तीन बार जिला पंचायत सदस्य भी रहे एक बार सपा ने विधानसभा का टिकट देकर वापस ले लिया था उनका 12 अप्रैल को बीमारी से निधन हो गया। उसी दिन पांच घंटे के अंतराल में उनकी पत्नी विद्या देवी जो कोविड संक्रमित थी की मौत हो गई। तब से गांव वालों के मन में यह घर कर गया कि जब इतने रसूखदार लोगों के ऊपर यह आफत आ सकती है तो आम लोगों को संक्रमण हो गया तो कौन बचाएगा। तब से सदा गुलजार रहने वाले इस गांव में बेचैनी और दहशत का आलम है। इसके बाद चार और लोगों ने बुखार से दम तोड़ दिया। अधिवक्ता सचिन तिवारी बताते हैं कि गांव में अब जो विवाह हो रहे हैं लोग द्वारचार में भी शामिल होने से कतरा रहे हैं।

इनसेट-

बढ़ा पीपल का महत्व

कोरोना काल ने पीपल के वृक्ष को लेकर अचानक श्रद्धा व महत्व बढ़ा दिया है। जहां सुबह महिलाएं आकर पीपल के वृक्ष पर जल अर्पण कर रही हैं। वहीं दिन में आसपास के एक दो घरों के लोग पीपल के वृक्ष के नीचे बैठ रहे हैं।

गांव के रामसकल बताने लगे कि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पीपल में साक्षात भगवान श्रीकृष्ण का वास होता है। उनकी शरण में जाने पर गांव का अमंगल हो ही नहीं सकता।

एक महीने में आधा दर्जन लोग हुए दिवंगत

इस गांव में गत एक माह में शोभनाथ यादव, उनकी पत्नी विद्या देवी, सोसायटी सचिव से सेवानिवृत्त सुरेश तिवारी, पुलिस मुख्यालय से सेवानिवृत्त रामानुज शुक्ला, मोतीलाल विश्वकर्मा व कमला देवी की मौत हो चुकी है। जिनमें विद्या देवी व रामानुज शुक्ला की कोविड से,शोभनाथ यादव की पुरानी बीमारी से व अन्य की बुखार,सांस न ले पाने की वजह से मौत हुई है।

मेडिकल स्टोरों से दवा लेकर कर रहे उपचार

इधर सप्ताहभर पहले तक गांव के कई लोग बुखार, जुकाम से ग्रसित थे। पर जांच कराने के नाम पर लोग सीएचसी नहीं गए। मेडिकल स्टोरों और झोलाछाप डाक्टरों से दवा लेकर खाते रहे।

क्या कहते हैं ग्रामीण-

गांव की नवनिर्वाचित प्रधान उर्मिला देवी कहती हैं कि जरूरत अब गांव-गांव कैम्प लगवा कर कोविड जांच कराने की है। इससे कोरोना संक्रमण के नियंत्रण में सहायता मिलेगी। पूर्व प्रधान भूलेश्वर नाथ तिवारी का कहना है कि हम सभी को अपने खेतों, बगीचों में फलदार वृक्ष के साथ ही पीपल लगाने की जरूरत आ पड़ी है। पंकज मिश्रा का कहना है कि सरकार का लॉकडाउन बढ़े या घटे पर हमको स्वप्रेरित होकर कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।

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