विलुप्त हो रही संस्कृति, कला व भाषा का संवर्धन जरूरी
केंद्रीय विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ एके सिंह ने कहा कि संस्कृति, कला का संवर्धन करने के लिए उस संस्कृति की भाषाओं का संरक्षण संवर्धन अवश्य करना...

बाबूगंज। हिन्दुस्तान संवाद
भारत विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं का देश है। क्षेत्रीय संस्कृतियां व कला संरक्षण बिना विलुप्त हो रही है जो चिंता का विषय है। विलुप्त होती संस्कृति और कला हमारी भाषाओं में समाहित होती है। संगीत, नाटक, साहित्य आदि की सराहना भाषा के बिना संभव नही है। संस्कृति, कला का संवर्धन करने के लिए उस संस्कृति की भाषाओं का संरक्षण संवर्धन अवश्य करना होगा। उपरोक्त बातें भारत सरकार द्वारा शिक्षकों के सम्मान में आयोजित तीन दिवसीय शिक्षक पर्व के दूसरे दिन वेविनार के माध्यम से छात्रों, अभिभावकों व शिक्षको को संबोधित करते हुए केंद्रीय विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ एके सिंह ने गुरुवार को कही।
विशिष्ट अतिथि केन्द्रीय विद्यालय एनटीपीसी शक्तिनगर के प्रधानाचार्य रविन्द्र राम ने बताया कि भारत संस्कृति समृद्ध देश है। यहां की कला, साहित्यिक कृतियों, प्रथाओं, परम्पराओं, भाषाई अभिव्यक्तियों, कलाकृतियों, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों से परिलक्षित होता है। इनका विलुप्त होना चिंता का विषय है। वेबिनार का संचालन शिक्षक राजू मौर्य व रवि प्रकाश सिंह ने किया।
