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होली भारतीय संस्कृति की धरोहर : रामबालक दास

कवियों ने देशभक्ति रचनाओं से भरा जोश, भाई चारे का पढाया पाठ

होली भारतीय संस्कृति की धरोहर  : रामबालक दास
हिन्दुस्तान टीम,गंगापारSun, 24 Mar 2019 11:44 PM
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होली त्योहार ही नहीं अपितु भारतीय संस्कृति की धरोहर है। ये बातें रविवार को पूरे भुलई गांव स्थित हनुमानगढी मंदिर प्रांगण में होली मिलन समारोह के बतौर मुख्य अतिथि महामंडलेश्वर बाबा रामबालक दास ने कही।

समारोह की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के बाद भगतसिंह राजगुरू और सुखदेव की शहाद को याद करते हुए उनके चित्र पर माल्यार्पण के बाद किया गया। भोजपुरी लोकगायक विकास मिश्रा ने भक्ति गीत रंग ले के दौड़े हनुमान हो रामजी उठ के भागे प्रस्तुत कर माहौल को होलीमय कर दिया। इसके बाद सीमा पर तैनात जवान के घर की होली को याद करते हुए कइसे अकेले बिताइब फगुनवा नइखे सखिया सहेली हो, उड़ के जहजिया से आजा सीमा से हम बानी घर में अकेली हो प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरी। कवि मकदूम फूलपुरी ने होली त्योहार मोहब्बत के साथ मनाया जाय, हाथ के साथ दिल को भी मिलाया जाय प्रस्तुत कर भाईचारे का संदेश दिया। शकील फूलपुरी ने हर तरफ मोहब्बत का दीप हम जलायेगें, होली और ईद मिलजुलकर मनायेगें। लोकगीत गायक ने फगुआ, बेलवरिया आदि प्रस्तुत कर ग्रामीण संस्कृति को मंच के माध्यम से उजागर किया। संचालन रणविजय सिंह यादव ने किया।

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