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धान की नर्सरी और बेहतर उत्पाद के तरीके सीख रहे किसान

बायोवेद कृषि प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान शोध संस्थान भगौतीपुर मोहरब में क्षेत्रीय किसानों को प्रशिक्षत किया जा रहा है। इसमें संस्थान के कृषि वैज्ञानिक किसानों को धान की नर्सरी और बेहतर उत्पाद का...

धान की नर्सरी और बेहतर उत्पाद के तरीके सीख रहे किसान
हिन्दुस्तान टीम,गंगापारSat, 30 May 2020 11:10 AM
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बायोवेद कृषि प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान शोध संस्थान भगौतीपुर मोहरब में क्षेत्रीय किसानों को प्रशिक्षत किया जा रहा है। इसमें संस्थान के कृषि वैज्ञानिक किसानों को धान की नर्सरी और बेहतर उत्पाद का प्रशिक्षण दे रहे हैं। केन्द्र में आस पास के किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लेकर लाभान्वित हो रहे हैं।

कृषि वैज्ञानिक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने बताया कि इलाके में पचास प्रतिशत खेतों में गड्ढ़े हैं, जहां वर्षा के समय जलभराव बना रहता है। इन क्षेत्रों में धान की लंबी अवधि की प्रजाति लगाएं। यह धान 150 से 160 दिनों में तैयार हो जाते हैं। इस अवधि वाले धान की नर्सरी 10 जून तक गिरा लेनी चाहिए। इसके अंतर्गत मंसूरी, सत्यम, राजश्री, स्वर्णा सब-1 आदि की बुवाई कर सकते हैं। वहीं मध्यम जमीन में मध्यम अवधि की प्रजाति के अंतर्गत सीता, राजेन्द्र, स्वेता, बीपीटी 5204 व सुगंधित प्रजाति में राजेन्द्र कस्तूरी, सुगंधा, सुवासिनी एवं शंकर धान की प्रजाति में अराईज 6444, पीएचबी 71, केआरएच आदि तमाम प्रजातिया बाजार में आसीनी से मिल रही है। यह धान 125 से 140 दिनों में तैयार होती है। बताया कि मिरगिसरा नक्षत्र में धान की बेहन जरूर डाल लें।

- बोआई से पहले करें बीज उपचार

कृषि वेज्ञानिकों ने किसानों को प्रशिक्षित करते हुए बताया कि सबसे पहले धान को 15 घंटे तक पानी में छोड़ दें। इसके बाद बाहर निकाल कर बीज को फैला दें। फिर चार से पांच ग्राम ट्राईको डर्मा विरडी प्रति किलो ग्राम बीज की दर से मिलाकर उपचारित करें। फिर जूट के बोरे में 20 से 25 घंटे तक छोड़ दें। तत्पश्चात खेत को अच्छे से तैयार कर बीज की बोआई करें। इस प्रयाग से बीज उपचार करने से धान की रोपाई के बाद फसल में रोगों की संख्या तीस से चालीस प्रतिशत कम हो जाती है।

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