बाढ़ और बरसात से डूबकर नष्ट हो गयी सैकड़ों बीघे दलहन, तिलहन की खेती
Gangapar News - मांडा। गंगा के बाढ़ और बरसात से गंगा के कछार पर बसे लोगों के अलावा

गंगा के बाढ़ और बरसात से गंगा के कछार पर बसे लोगों के अलावा अन्य तमाम गांवों के हजारों किसान खेती नष्ट होने से तबाह हो चुके है। गंगा कछार पर स्थित कई किसानों की सब्जियों की खेती गंगा के बाढ़ में डूबकर नष्ट हो गई है। बरहाकला सहित तमाम गांवों के खेतों में अभी तक बरसात का पानी भरे होने ने धान, दलहन व तिलहन की हर तरह की खेती चौपट हो चुकी है। मांडा क्षेत्र के बामपुर गाँव में गंगा कछार पर तमाम किसानों द्वारा सब्जी की खेती की जाती है। कछार पर परवल व करैला की खेती करने वाले किसान मातादान, राजकुमार, रामबाबू अर्जुन, बाल जी तिवारी आदि ने बताया कि हर साल गंगा का जलस्तर बढ़ने के बाद उनकी खेती गंगा के पानी में डूबकर तबाह हो जाती है।
किसानों की यह पीड़ा भी है कि कभी भी बाढ़ से तबाह खेती का उनको मुआवजा नहीं मिल पाता। इस बार भी तमाम किसानों के सब्जियों की खेती गंगा के दो बार जलस्तर बढ़ने से डूब कर नष्ट हो चुकी है। इसी तरह बरहाकला ग्राम पंचायत के किसान सुरेश कुमार, रमेश कुमार, सत्यम्, रामचंद्र, अमरजीत, जीतेंद्र, विनय कृष्ण, राम राज, जीत नारायण, वंशराज, राजधर, राम धनी, प्रभु राम , अभिलाख, राज बली, अलख नारायण आदि किसानों ने बताया कि पिछले एक महीने से गांव के सैकड़ों किसानों के खेतों में बाढ़ का पानी भरा हुआ है, जिससे चाहकर भी वे खेती नहीं कर पा रहे हैं। किसान नेता एवं ग्राम प्रधान प्रतिनिधि बरहाकला राजेश्वर यादव ने बताया कि ग्राम पंचायत व इस ग्राम पंचायत से जुड़े आधा दर्जन गांवों के हजारों किसानों की खेती अभी तक जलमग्न होने से 96 प्रतिशत खेती नष्ट हो चुकी है। सूचना के बाद भी अभी तक हल्का लेखपाल सहित कोई भी राजस्व अधिकारी गाँव में क्षतिग्रस्त फसलों का सर्वे करने भी नहीं आया, जिससे किसानों में सरकारी सुविधा के प्रति मोहभंग और नाराजगी बढ़ती जा रही है। हर साल साल गंगा के जलस्तर का कटान मांडा क्षेत्र की ओर बढ़ने से गंगा के तटीय इलाके में बसे लोगों में घर ढहने के साथ ही खेती भी गंगा में समाहित होती जा रही है, लेकिन प्रशासन द्वारा किसानों को किसी भी प्रकार का मुआवजा नहीं मिल पाता। यदि इसी तरह गंगा का कटान भदोही के बजाय मांडा की ओर होता रहा, तो उमापुर कला ग्राम पंचायत से गुजरा दिल्ली हावड़ा रेलमार्ग भी गंगा में समाहित हो जाएगा।
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