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दूसरों के घरों में उजाला करने वालों के जिंदगी में है अंधेरा

दीपावली का पर्व नजदीक है। रात दिन मशक्कत करके कुम्हार दूसरे के घरों में उजाला करने के लिए दीपक तैयार कर रहे हैं। इसके बावजूद उनके जीवन में ही अंधेरा रहता है। प्लास्टिक और चाइनीज झालरों ने कुम्हारों...

दूसरों के घरों में उजाला करने वालों के जिंदगी में है अंधेरा
हिन्दुस्तान टीम,गंगापारTue, 22 Oct 2019 12:11 AM
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दीपावली का पर्व नजदीक है। रात दिन मशक्कत करके कुम्हार दूसरे के घरों में उजाला करने के लिए दीपक तैयार कर रहे हैं। इसके बावजूद उनके जीवन में ही अंधेरा रहता है। प्लास्टिक और चाइनीज झालरों ने कुम्हारों की रोजी-रोटी छीन लिया है। शासन की ओर से मिलने वाली सुविधाओं से अधिकांश परिवार वंचित हैं। कम आय के कारण युवकों का इस कारोबार से मोह भंग हो गया है ।

बारा तहसील के ग्राम पंचायतों परसरा, तातारगंज, चैनपुरवा, बसहरा, सोनौरी, ओढगी ,गोइसरा, कपारी, बिहरिया आदि में कुम्हारों के परिवार निवास करते हैं। इनमें से अधिकांश लोग दीन हीन दशा में है। उनके परिवार के सदस्यों को रोजगार नहीं मिल रहा है। शासन की योजनाओं मसलन इंदिरा आवास योजना, मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए भूमि के पट्टे, पेंशन आदि से वंचित हैं।

दीपक जलाने के कई फायदे, फिर भी हो रहा मोहभंग

कपारी गांव के शिक्षक राजकुमार प्रजापति कहते हैं कि मिट्टी के दीपक जलाने का वैज्ञानिक महत्व है। हिंदू धर्म में भी इसका विशेष महत्व है। इससे परिवार में सुख शांति बनी रहती है। लंका विजय के बाद जब भगवान राम अयोध्या वापस लौटे थे तो अयोध्या के लोगों ने दीप जला कर ही उनका स्वागत किया था। इससे नई ऊर्जा का संचार होता है। इसके बावजूद लोग चाइनीज़ झालरों और मोमबत्ती से दिवाली में रोशनी करते हैं। इसके सिवा दीपक से कीट पतंगे नष्ट हो जाते हैं। कई लाभ के बाद भी मिट्टी के दिए की कम मांग है। इससे युवा पीढ़ी इस कारोबार से भाग रही है। वे मेहनत मजदूरी पसंद करते हैं किंतु मिट्टी के बर्तन नहीं बनाना चाहते हैं।

ग्राहक कम, गांव-गांव जाकर कर रहे बिक्री

इस संबंध में कपारी के कुम्हार सालिक राम प्रजापति कहते हैं कि कई माह से दिवाली की तैयारी कर रहे हैं। दिए तैयार है किंतु ग्राहक नहीं है। घूम घूम कर बेचना शुरू कर दिया है। कोई सरकारी सुविधा नहीं मिली है। पंचायत से लेकर बैंक तक का चक्कर लगाने के बाद भी कर्ज नहीं मिला । वहीं मौजूद उनकी पत्नी चंदद्रकली ने कहा कि इससे इतनी भी कमाई नहीं है कि परिवार का ठीक से गुजारा हो सके । बच्चों की पढ़ाई लिखाई दवा आदि का खर्च अलग है। सरकार चाइनीज़ सामानों की बिक्री पर रोक लगाए तथा प्लास्टिक का उपयोग और उत्पादन बंद करे तभी कुम्हारों के जिंदगी में आ सकती है रोशनी ।

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