रिमझिम बरसे ला सवनवां, कहिया अइब सजनवां ना..
संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से फूलपुर विकास खंड के बभनकुइयां में 'एक शाम, मिर्जापुरी कजली गीतों के नाम' कार्यक्रम आयोजित किया...
संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से फूलपुर विकास खंड के बभनकुइयां में 'एक शाम, मिर्जापुरी कजली गीतों के नाम' कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर कलाकरों ने अपनी लोकगायकी से उपस्थित जनसमूह की जमकर तालियां बंटोरी। कार्यक्रम की शुरुआत भारतीय लोककला महासंघ के जिलाध्यक्ष रामसुमेर पाल ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
मिर्जापुरी कजरी का आगाज कृष्ण कुमार के देवी गीत 'माई वीणा वाली विड़वा बजाइ देतिउ, सरगम सजाइ देतिउ ना' से हुआ। गायिका अंजू पटेल ने 'जेका पूत मिले, श्रवण कुमार मिले; सुखी परिवार मिले ना' के जरिए समाज को नसीहत दी। गायक रामराज पाल ने 'ऊधो लइजा मोहन क पाती, फाटे हमरी छाती ना' के द्वारा भगवान कृष्ण के विरह में गोपिकाओं की वेदना प्रस्तुत की। गायिका इंदिरा पटेल ने 'जबसे श्याम तजे बरसनवां, राधा गारें नयनवां ना' के करुण रस में मार्मिक चित्रण किया। लोक गायक सत्य नारायण ने 'गोरी जवन कहा तवन हम लियाइ देब, नइहरे न जाइ देब ना' के गीत से महफिल में शमां बांधा। गायिका प्रिंसू जायसवाल ने श्रृंगार रस से ओतप्रोत कजरी प्रस्तुत कर लोगों की वाहवाही लूटी। मनोज कुमार ने 'चला कंस वहीं पालकी सजाइ के, देवकी लियाइ के ना' गीत से कंस की क्रूरता बयां किया। रेनू रोशनी ने 'घेरि-घेरि आई सावन के बदरिया ना' के माध्यम से मेघों की घनघोर घटा का मनोहारी वर्णन किया। गायिका शशिकला ने 'होली खेलइ शिवजी चले ससुरार में, सावनी बहार में ना' के द्वारा कजली विधा में भगवान भोलेनाथ के ससुराल में होली खेलने का अद्भुत वर्णन कर लोगों का मन मुदित कर दिया। प्रख्यात लोक गायिका सरोज सरगम ने मिर्जापुरी कजली' रिमझिम बरसे ला सवनवां, कहिया अइब सजनवां ना' की शानदार प्रस्तुति से लोगों का दिल बाग-बाग कर झूमने पर मजबूर कर दिया।