बोले फिरोजाबाद:बेहतर शिक्षा के साथ नौकरी की चाह
संक्षेप: Firozabad News - आज के युवा नौकरी की चिंता में हैं। कॉलेज के छात्र पढ़ाई के साथ नौकरी की तलाश में भी हैं। सरकारी योजनाएं युवाओं तक नहीं पहुंच रही हैं, जिससे वे रोजगार के लिए परेशान हैं। युवा आरक्षण और भेदभाव के खिलाफ...
आज युवाओं का दिन है। आजकल कालेजों में पढ़ने वाले युवा अपनी पढ़ाई को पूरा करने के लिए जी जान लगा देते हैं लेकिन साथ में उनको नौकरी की चिंता भी सताने लगती है। पहले कैंपस इंटरव्यू में उनका नम्बर आएगा या नहीं। अगर आ गया तो ठीक है लेकिन नहीं आया तो कम रुपयों की नौकरी करनी पड़ेगी। नौकरी के लिए भटकना पड़ेगा। पहले युवाओं को पढ़ाई के समय में किसी प्रकार की टेंशन नहीं होती थी लेकिन अब युवा अपने भविष्य को लेकर कई बार इतना चिंतित हो जाता है कि उसके ऊपर चिंता हावी हो जाती है और वह हादसों का शिकार हो जाता है।

युवा जिसे देश का भविष्य कहा जाता है आजकल वह अपने भविष्य को लेकर ही चिंतित है। कारण नौकरी में जुगाड़। नौकरियों में आरक्षण। इसके चलते जो युवा बेहतर पढ़ाई करने वाले होते हैं वह भी इस भागदौड़ में पीछे रह जाते हैं। तब वह पूरी तरह टूट जाते हैं। तमाम युवा तो ऐसे हैं जो अपने जीवन से समझौता करके उस नौकरी के रास्ते को चुनते हैं जो वह कभी करना नहीं चाहते थे। युवाओं के लिए सरकारें बड़ी-बड़ी बातें करती हैं। युवाओं को सशक्त करने के लिए प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना है तो प्रदेश स्तर पर भी योजनाओं की कमी नहीं। देहात क्षेत्र के युवाओं के लिए ग्रामोद्योग विभाग स्वरोजगार की योजनाएं कराता है। हकीकत में इन योजनाओं का लाभ जरूरतमंद युवाओं तक नहीं पहुंच रहा। युवाओं की मानें तो नौकरियां खत्म होती जा रही हैं। नौकरी के नाम पर सरकार ने ठेका प्रथा शुरू कर दिया है जिससे नौकरी करने वाले सरकार के अधीन न रहकर कंपनियों के हाथों में खेलते हैं। युवाओं का कहना है कि नौकरियों के अवसर कम होते जा रहे हैं तो इससे कंपटीशन भी बढ़ रहा है। एक तरफ सरकार युवाओं को देश का वर्तमान एवं भविष्य बताती है। देश की युवा आबादी के दम पर आगे बढ़ने की बात की जाती है, लेकिन इन युवाओं को ही आगे बढ़ने का मार्ग नहीं दिखाई दे रहा है। जब तक युवा ही सशक्त नहीं बनेंगे, तब तक देश कैसे आगे बढ़ेगा। वहीं युवाओं के एक वर्ग में नौकरी में आरक्षण को लेकर मानसिक द्वंद छिड़ा हुआ है। युवाओं का कहना है कि जब पढ़ते वक्त नंबर देने में समानता रखी जाती है तो नौकरी खोजते वक्त युवाओं में भेदभाव कहां तक सही है। किसी को कम नंबर पर ही नौकरी मिल जाती है तो कोई अधिक नंबर होने पर भी नौकरी नहीं पाता है। अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस को लेकर सीएल जैन महाविद्यालय में हिन्दुस्तान के बोले फिरोजाबाद के तहत छात्र छात्राओं से बातचीत की जिसमें उन्होंने अपनी राय व्यक्त की। ंस्वरोजगार को बैंक नहीं देती समय पर ऋण स्वरोजगार के लिए सरकार की कई योजनाएं हैं। इन योजनाओं की पहुंच हकीकत में उन युवाओं तक नहीं है, जो वास्तविक जरूरतमंद हैं। किसी तरह से सरकारी दफ्तरों से इनकी फाइल आगे बढ़ भी जाती है तो बैंक की चौखट पर ही अटक जाती हैं, ऋण की धनराशि इनके खातों में नहीं पहुंच पाती। बैंक कागजी प्रक्रिया में उलझाए रखती हैं तो बगैर गारंटी ऋण देने से इन्कार कर देती हैं, इस स्थिति में धनाभाव में कई युवा रोजगार शुरू नहीं कर पाते हैं। हालांकि आंकड़ों में ऋण बंटता है, लेकिन सिर्फ उन बेरोजगारों को, जिनके परिवार पहले से कारोबार में हैं तथा वह बैंक की गारंटी की कार्रवाई पूर्ण कर देते हैं। भर्तियां और रिजल्ट समय पर हों जारी: युवाओं का कहना है कि इसके लिए सरकार को सबसे पहले समय से नौकरियों की घोषणा करनी चाहिए।वहीं परीक्षा के बाद में परिणाम भी जल्द घोषित करना चाहिए। कई बार युवा फॉर्म के बाद फॉर्म भरते रहते हैं, लेकिन रिजल्ट बाद में घोषित होते हैं। मन की बात नौकरियों को बढ़ावा देने की जरूरत है। आज युवा पढ़ाई करते हैं तो पढ़ाई पूरी होने से पहले नौकरी की चिंता सताने लगती है। कई प्रयास के बाद भी सरकारी नौकरी न मिलने पर उन्हें कम वेतन पर नौकरी करनी पड़ती है, जिससे वह हतोत्साहित होते हैं। इससे युवा सोच भी प्रभावित होती है। - अविनाश कुमार जाति एवं धर्म के आधार पर युवाओं में भेदभाव नहीं होना चाहिए। इसके आधार पर नौकरी देने पर भी सरकार को रोक लगानी चाहिए। नौकरी में सरकार ठेका प्रथा को बढ़ावा दे रही है। सेवा प्रदाता के माध्यम से नौकरियां दी जा रही हैं। सरकार को सरकारी नौकरियां की संख्या बढ़ाना चाहिए। - प्रीती सिंह युवाओं को सशक्त बनाने को सरकार को वैकेंसी निकालनी चाहिए, ताकि युवाओं को पढ़ाई के बाद में रोजगार मिल सके। कई बार ऐसी स्थिति बनती है कि नौकरी निकलती है तो छात्र आवेदन करते हैं, लेकिन परिणाम में कई साल लग जाते हैं। इस स्थिति को भी पूरी तरह से खत्म करना चाहिए। - गौरी शिखा युवाओं को सशक्त बनाना है तो उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करना होगा। आज कल युवाओं में भटकाव के पीछे की असल वजह भी यही है कि उन्हें रोजगार नहीं मिल पाता है। इस भटकाव को रोकने के लिए जरूरी है सरकार रोजगार के अवसर मुहैया कराए। स्वरोजगार को धरातल पर पहुंचाएं। - रिया तेजस्विनी युवाओं को सशक्त बनाने के लिए जरूरी है कि शिक्षा क्षेत्र से ही युवाओं को सरकार सहूलियत दे। आज भी कई युवा हैं जो धनाभाव में बेहतर शिक्षा न मिलने से भटक जाते हैं। युवाओं के इस भटकाव को रोकने के लिए जरूरी है कि सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को बस्तियों में रहने वाले युवाओं तक पहुंचाया जाए। - शुभांशि जैन युवा जब रोजगार की तलाश में निकलता है, तभी उसे भेदभाव की स्थिति दिखाई देती है। जब शिक्षा एक समान है तो रोजगार में फिर भेदभाव क्यों। एक तरफ बच्चों को नौकरी कम अंक पर मिल जाती है तो दूसरी तरफ उनसे ज्यादा अंक पाने वाले बच्चे नौकरी पाने से वंचित रह जाते हैं, यह खत्म होना चाहिए। - रामलखन वर्मा सरकार को युवाओं के लिए रोजगार पर ध्यान देना चाहिए। सरकारी क्षेत्र में नौकरियों की संख्या को बढ़ाना चाहिए, ताकि युवाओं को आसानी से रोजगार मुहैया हो सके। युवाओं को उनकी क्षमता के आधार पर नौकरी देना सरकार अपनी जिम्मेदारी समझे, क्योंकि युवाओं से ही देश आगे बढ़ता है। - आस्था यादव कंपटीशन में किसी भी तरह का आरक्षण नहीं होना चाहिए। बच्चे पूरी मेहनत से पढ़ाई करते हैं। पढ़ते वक्त नंबर देने में समानता बरती जाती है तो फिर नौकरी देने के वक्त असमानता क्यों। नौकरी देने में भी सरकार को युवाओं को युवा ही समझना चाहिए तथा इस आधार पर ही इन्हें नंबर देने चाहिए। - हर्ष प्रताप सिंह

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