निरीकरण के विरोध में की जमकर नारेबाजी
फिरोजाबाद। बिजली वितरण प्रणाली के निजीकरण के प्रदेश सरकार के फैसले से विद्युत विभाग के अधिकारी, कर्मचारी बेहद खफा हैं। उन्होंने सरकार पर कारपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया...
बिजली वितरण प्रणाली के निजीकरण के प्रदेश सरकार के फैसले से विद्युत विभाग के अधिकारी, कर्मचारी बेहद खफा हैं। उन्होंने सरकार पर कारपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है। बुधवार को नगर में अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर विद्युत कर्मचारी संयुक्त परिषद संघर्ष समिति के बैनर तले विभाग के अभियंताओं और कर्मचारियों ने धरना प्रदर्शन किया। उन्होंने निजीकरण के विरोध में प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। धरना स्थल पर हुई सभा में इंजीनियर दुर्गा प्रसाद ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पांच बड़े शहरों और सात जनपदों की बिजली वितरण व्यवस्था निजी कम्पनियों को सौंपने का निर्णय लिया है। यह जन विरोधी है। इससे विद्युत र्किमयों के हितों पर विपरीत असर पड़ेगा। साथ ही बिजली मंहगी होने से उपभोक्ता की जेब भी कटेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने कारपोरेट घरानों को र्आिथक लाभ पहुंचाने के लिए निजीकरण का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा बिजली घाटे के लिए सरकार की गलत नीतियां जिम्मेदार हैं। इंजीनियर दुर्गा प्रसाद ने कहा कि बीते 18 साल में 77 हजार करोड़ के बिजली घाटे के लिए वर्तमान और पिछली सरकारें जिम्मेदार हैं। इस घाटे में 10 हजार 800 करोड़ का बकाया तो सरकारी विभागों पर ही है। जिसमें सरकार का सचिवालय और मंत्रियों के आवास के अलावा अन्य सरकारी विभाग शामिल हैं। उन्होंने कहा कि बिजली के निजी करण के खिलाफ किए जा रहे आंदोलन को वर्कर्स फ्रंट, सीटू, इंटक, ठेका मजदूर यूनियन के अलावा अनेक संगठनों व जनता का व्यापक समर्थन मिल रहा है। जिससे बौखला कर सरकार ने एस्मा लगाने की चेतावनी दे डाली है। लेकिन इससे आंदोलन कर रहे विद्युत कर्मी डरने वाले नहीं हैं। सरकार को चाहिए वह अपने अलोकप्रिय फैसले को तत्काल वापस ले। धरना प्रदर्शन में इंजीनियर शैलेन्द्र कटियार, सुमित कुमार, लेखेन्द्र सिंह, हरी सिंह, विवेक सारस्वत, मनोज कुमार, इंद्रजीत, रविकांत, देवदत्त, सीपी सिंह, धर्मेन्द्र सिंह, अतुल कुमार, अनिल कुमार आदि शामिल रहे।