गणपति विसर्जन में कोरोना के नियम तार-तार
एक ओर कोरोना का डंक तेजी से पैर पसार रहा है तो दूसरी ओर लोगों द्वारा नियमों को दरकिनार किया जा रहा है। पुलिस की रोकटोक कम होते ही लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क का प्रयोग करना अब कम कर दिया है।...
एक ओर कोरोना का डंक तेजी से पैर पसार रहा है तो दूसरी ओर लोगों द्वारा नियमों को दरकिनार किया जा रहा है। पुलिस की रोकटोक कम होते ही लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क का प्रयोग करना अब कम कर दिया है। गणपति विसर्जन के दौरान यह गलती देखने को मिलीं।
कोरोना काल में गणपति के पंडाल प्रशासन ने नहीं लगने दिए थे। पुलिस ने भी सख्ती के साथ गली कूंचों तक पर निगाह रखी तो लोगों ने घरों पर ही गणपति को स्थापित किया। पूरे 10 दिनों तक घरों पर पूजा-अर्चना, आरती होती रही। इसके बाद जब मंगलवार को विसर्जन का समय आया तो पूरी तरह कोरोना के नियमों की अनदेखी होती दिखी।
गणपति विसर्जन के लिए महिला-पुरुषों और बच्चों ने अपने निजी वाहनों के साथ ही ई- रिक्शा का प्रयोग सबसे ज्यादा किया। जिन लोगों को पास वाहन की व्यवस्था नहीं थी उनको मजबूरी में इन ई रिक्शा में बैठकर यमुना किनारे जाने पर विवश होना पड़। इस दौरान महिला पुरुषों और बच्चों ने मास्क का प्रयोग नहीं किया। ई-रिक्शा चालकों ने भी रुपये कमाने के लिए कई सवारियों को एक साथ बिठाया और सोशल डिस्टेंसिंग भी पूरी तरह टूट गई। इतना ही नहीं जो लोग अपने निजी वाहनों, बाइकों से गणपति विसर्जन को गए, उन्होंने भी नियमों को दरकिनार किया।