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लक्ष्य हासिल करने में पिछड़े दोनों गेहूं खरीद केंद्र

किसानों के गेहूं खरीदने को शासन द्वारा निर्धारित दोनों खरीद केंद्र अपना लक्ष्य हासिल करने में पूरी विफल साबित हुए हैं। शासन द्वारा खरीद को 30 मई की अंतिम तारीख निर्धारित की गई थी। शहर के कोटला मार्ग...

लक्ष्य हासिल करने में पिछड़े दोनों गेहूं खरीद केंद्र
हिन्दुस्तान टीम,फिरोजाबादFri, 31 May 2019 07:08 PM
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किसानों के गेहूं खरीदने को शासन द्वारा निर्धारित दोनों खरीद केंद्र अपना लक्ष्य हासिल करने में पूरी विफल साबित हुए हैं। शासन द्वारा खरीद को 30 मई की अंतिम तारीख निर्धारित की गई थी। शहर के कोटला मार्ग स्थित नवीन गल्ला मंडी में बने खरीद केंद्र में से एक का संचालन खाद्य, रसद विभाग व दूसरे का पीसीएफ कर रहा है।

हिन्दुस्तान ने शुक्रवार को जब दोनों केंद्रों की पड़ताल की गई तो एक केंद्र बंद मिला जबकि दूसरे पर गेहूं खरीद का काम चल रहा था। खाद्य, रसद विभाग के सहायक प्रभारी नरेश ने बताया कि इस केंद्र का शुभारंभ एक अप्रैल 2019 को हुआ था। शासन द्वारा केंद्र के सामने 14 हजार कुंटल गेहूं की खरीद करने का लक्ष्य 30 मई तक करने का रखा था। उन्होंने बताया कि लक्ष्य के सापेक्ष केंद्र द्वारा 31 मई तक 10 हजार 206 किग्रा गेहूं की खरीद हो चुकी है। उन्होंने बताया कि लक्ष्य की पूर्ति के लिए शासन द्वारा केंद्र को 15 जून तक समय दिया है। केंद्र हर संभव प्रयास में हैं कि वह अपने निर्धारित लक्ष्य को हासिल कर सकें। वहीं दूसरी बंद मिले पीसीएफ केंद्र के सहायक प्रभारी रवि ने बताया कि शुक्रवार को अचानक प्रभारी संजय मार्ग हादसे का शिकार हो गए। उन्होंने बताया कि पीसीएफ को गेहूं खरीद का लक्ष्य 9000 कुंटल तय किया है। इसके सापेक्ष में आज तक केंद्र पर 4600 कुंटल की खरीद हो चुकी है।

तत्काल भुगतान न होने से आ रही बाधा

सरकारी केंद्रों पर गेहूं की कम खरीद का सबसे बड़ा कारण तत्काल भुगतान बताया गया। नवीन गल्ला मंडी कार्यालय के इंस्पेक्टर महेंद्र कुमार ने बताया कि गेहूं बेचने के बाद किसानों के पैसों का तत्काल भुगतान न करके लगभग सात दिन में उनके खातें में ट्रांसफर किया जाता है। वहीं दूसरी ओर कम पैसा मिलने के बाद भी किसान अपना गेहूं व्यापारियों के हाथ बेच देता है जिसका मुख्य कारण नकद भुगतान है।

शासन द्वारा तय खरीद मूल्य

शासन द्वारा किसानों के गेहूं खरीद को 1860 रूपये तय किया गया है। शासन द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि छंटाई, उतराई आदि का भाड़ा किसानों की धनराशि से वसूल न किया जाए।

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