सरकारी प्रतिष्ठानों को नहीं मिली ‘तम्बाकू से आजादी!
जिले में तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत सरकारी प्रतिष्ठानों और स्कूलों को तम्बाकू निषिद्ध क्षेत्र घोषित किया गया था, लेकिन यह पूरी तरह से लागू नहीं हो पाया। सरकारी कार्यालयों और स्कूलों में अभी भी...
फतेहपुर/खागा, संवाददाता जिले में तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अधीन सभी सरकारी प्रतिष्ठानों एवं स्कूलों को तम्बाकू निषिद्ध क्षेत्र घोषित किया गया था लेकिन इसके बावजूद धरातल पर ये प्रतिष्ठान पूरी तरह तम्बाकू मुक्त नहीं दिख रहे हैं। 2018 में तत्कालीन डीएम ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महानिदेशालय के तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम को समूचे जिले में गंभीरता से लागू किया था।
दोआबा में 1 अगस्त से 30 अगस्त 2018 तक तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम एवं सीओटीपीए 2003 के क्रियान्वयन के लिए जिले में ‘तम्बाकू से आजादी अभियान चलाया गया था। इस अभियान के अन्तर्गत सभी सरकारी प्रतिष्ठानों एवं स्कूलों में जन जागरूकता अभियान चलाया गया था। अभियान को अधिकारियों एवं कर्मियों के दिलोदिमाग तक उतारने के लिए 2018 में झंडारोहण के बाद तम्बाकू छोड़ने के लिए शपथ भी दिलाई गई थी। सभी सरकारी कार्यालयों एवं स्कूलों में 60 गुणा 30 सेमी का साइनेज लगाया गया था। इसमें धूम्रपान निषेध क्षेत्र व यहां धूम्रपान करना दण्डनीय अपराध है, की चेतावनी लिखी गई। सभी सरकारी कार्यालयों में जन जागरूकता के लिए बाहर यलो लाइन पेण्ट कराया गया। इन सब उपायों के बावजूद सरकारी कार्यालयों व स्कूलों में तम्बाकू का प्रयोग दिख जाता है।
गुटखे की पीक बताती है हकीकत
सरकारी कार्यालयों, अस्पतालों व अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों में गुटखे की पीक सारी कहानी बयां करती है। कई जगह दीवारों के ‘लाल कोने बताते हैं कि परिसर पूरी तरह तम्बाकू मुक्त नहीं हुए हैं। सूत्र बताते हैं कि आगंतुकों को छोड़िए, सरकारी कर्मी ही अपने कार्यालयों में तम्बाकू उत्पादों का प्रयोग करते हैं। इन पर लगाम नहीं लगाई जा सकी है।
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