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संस्कृत विद्यालयों पर कसेगा शिकंजा,तीन बिंदुओं पर जोर

फतेहपुर, संवाददाता। संस्कृत विद्यालयों पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू हो गई है। आपकेर दशा सुधारने पर जोर दिया। कहा कि सरकार संस्कृत विद्यालयों को लेकर

संस्कृत विद्यालयों पर कसेगा शिकंजा,तीन बिंदुओं पर जोर
Newswrap हिन्दुस्तान, फतेहपुरSat, 31 Aug 2024 06:36 PM
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फतेहपुर, संवाददाता। संस्कृत विद्यालयों पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू हो गई है। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान में छपी खबर को संज्ञान में लेते हुई डीआईओएस ने शनिवार शाम संस्कृत विद्यालयों के प्रधानाचार्यों व शिक्षकों की बैठक में कड़े निर्देश दिए है। उन्होंने प्रधानाचार्यों से विद्यालय के विकास शुल्क का ब्योरा उपलब्ध कराने के निर्देश देते हुए विद्यालयों की बदहाली दूर करने, शिक्षकों को नियमित स्कूल पहुंचने और प्रत्येक शिक्षक को 11 अगस्त तक कम से कम 25 छात्रों का नामांकन कराने के निर्देश दिए गए हैं।

डीआईओएस दफ्तर में आयोजित बैठक में 17 के सापेक्ष उपस्थित 15 प्रधानाचार्य और मानदेय शिक्षकों की करीब डेढ़ घंटे चली बैठक में डीआईओएस राकेश कुमार ने विद्यालय संचालन में मनमानी बंद करने और दशा सुधारने पर जोर दिया। कहा कि सरकार संस्कृत विद्यालयों को लेकर गंभीर है। प्रोजेक्ट अलंकार योजना के तहत विद्यालयों को विकास के लिए आर्थिक सहायता मुहैया करा रही है। प्रधानाचार्य इस योजना का लाभ उठाते हुए विद्यालयों का कायााकल्प कराएं। स्कूलों को पेयजल, साफ सफाई,शौचालय आदि सुविधाओं के लैश करें। उन्होंने कहा कि प्रत्येक शिक्षक विद्यालय में 25 छात्रों का नामांकन कराते हुए विद्याालयों में संख्या बढ़ाएं। चेतावनी दी कि विद्यालयों की क्रास चेकिंग कराई जाएगी। सुधार नहीं होने की दशा पर प्रभावी व कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

विद्यालय की संपत्ति कमाई का जरिया बनी

बताते हैं कि अधिकतर संस्कृत विद्यालयों में कृषि योग्य खेती, दुकानें प्रबंधतंत्र से जुड़े लोगों की कमाई का जरिया बनी है। सूत्रों का कहना है कि विकास शुल्क से विद्यालय के रखरखाव,बाउंड्रीवाल समेत जरूरी सुविधाओं में खर्च किया जाना चाहिए लेकिन विद्यालयों की लगी संपत्तियों से होने वाली आय पर लोग कुंडली मारे बैठे हुए है। विद्यालय में फर्नीचर दूर टाट पट्टी नहीं है, भवन भूत बंगले में तब्दील हो गए। कई स्कूलों में रास्ता तक नहीं है लेकिन प्रबंधतंत्र इन अव्यवस्थाओं को दूर करने को लेकर गंभीर नहीं है। कई स्कूलों में प्रबंधतंत्र से जुड़े लोग खुद की संपत्ति मानते हुए आवास बना कर वहीं निवास कर रहे हैं।

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