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जल के साथ तालाबों को भी चाहिए ‘संरक्षण

खागा नगर व तहसील क्षेत्र के अनेक तालाब अतिक्रमण व अवैध कब्जों के चलते संकटग्रस्त...

जल के साथ तालाबों को भी चाहिए ‘संरक्षण
हिन्दुस्तान टीम,फतेहपुरFri, 20 Jul 2018 10:59 PM
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खागा नगर व तहसील क्षेत्र के अनेक तालाब अतिक्रमण व अवैध कब्जों के चलते संकटग्रस्त हैं।

प्रशासन तमाम योजनाओं व कोशिशों के बावजूद अब तक इन तालाबों को अवैध कब्जों से मुक्त नहीं करा पाया। ऐसे में मानसून के दौरान बड़े पैमाने पर जलसंरक्षण की मंशा खुद पानी मांगती नजर आ रही है। शहरी क्षेत्रों में स्थित तालाबों पर अवैध निर्माण के चलते अंतिम सांसे गिन रहे हैं।

खागा स्थित करीब डेढ़ दर्जन बड़े तालाब धीरे धीरे मृतप्राय हो रहे हैं। समय बीतने के साथ ही उनमें अवैध कब्जे व अतिक्रमण की लगातार कोशिशें हो रही हैं। नगर स्थित पक्का तालाब के सुंदरीकरण के प्रस्ताव के लिए नगर पंचायत ने शासन से बजट की मांग की है लेकिन यह ऐतिहासिक तालाब भी अतिक्रमण की जब्त में है। भू माफियाओं ने साल दर साल तालाबांे पर कब्जा कर जलसंरक्षण की बुनियाद की चूले हिला दी हैं। शिकायतों पर सक्रिय हुए प्रशासन ने कई दफा फौरी तौर पर अतिक्रमण की कोशिशों पर पाबंदी तो लगा दी लेकिन स्थाई समाधान नहीं खोज सका। सूत्र बताते हैं कि कई दफा तो अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके तालाबों पर कब्जा कर लिया गया। एक बार कब्जा होने के बाद अदालती कार्यवाही के चलते उन्हे मुक्त नहीं कराया जा सका। जबकि सुप्रीम कोर्ट तालाब एवं जलक्षेत्रों को अतिक्रमण व अवैध कब्जों से मुक्त कराने के लिए कई सालों से बेहद सक्रिय है। तालाबी भूमि व तालाबों के संरक्षण की योजनाएं धरातल पर असर नहीं दिखा सकी। लिहाजा बरसात का पानी अब पहले की तरह तालाबों में नहीं जाता है।

लेखपालों की भूमिका रही है संदिग्ध

तालाबों व तालाबी नंबरों पर अवैध कब्जों के अधिकतर मामलों मंे क्षेत्रीय लेखपालों की भूमिका संदिग्ध रही है। तालाबों मंे कब्जे की सूचनाओं के बावजूद लेखपालों के उदासीन रवैये ने भू माफियाओं की मदद की। तालाबांे पर कब्जे होने के बाद शिकायतें जब अधिकारियों के पास पहुंचती हैं तो देर हो जाती है। पक्के निर्माण को ढहाने की प्रक्रिया और इच्छाशक्ति अक्सर धराशायी होती दिखती है।

मनरेगा बन सकती है बेहतर समाधान

मनरेगा ने तालाबों को नवजीवन देने की जो राह दिखाई थी, समय बीतने के बाद रास्ता भटक गई। भ्रष्टाचार व ब्यूरोक्रेसी की शिकार यह महत्वपूर्ण योजना अब भी जलसंरक्षण व तालाब संरक्षण के लिए एक्स फैक्टर साबित हो सकती है। गांव गांव तालाबों व छोटे गड्ढों का जाल बिछाकर जलसंरक्षण को मुहिम बनाया जा सकता है।

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