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कांजी हाउस न कैटल टीम, कैसे मिले आवारा पशुओं से निजात

शहर में आवारा जानवर नगरवासियों के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो रहे हैं। आवारा जानवरों से जहां आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं वहीं सड़कों से लेकर मोहल्ले की गलियों में गंदगी से पटी रहती हैं। मजे की बात तो यह...

कांजी हाउस न कैटल टीम, कैसे मिले आवारा पशुओं से निजात
हिन्दुस्तान टीम,फतेहपुरTue, 09 Jan 2018 10:37 PM
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शहर में आवारा जानवर नगरवासियों के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो रहे हैं। आवारा जानवरों से जहां आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं वहीं सड़कों से लेकर मोहल्ले की गलियों में गंदगी से पटी रहती हैं। मजे की बात तो यह है कि आवारा जानवरों पर अंकुश लगाने के लिए नगर पालिका परिषद के पास कोई व्यवस्था नहीं है। न ही कांजी हाउस हैं और न ही कोई कैटल टीम। पालिका द्वारा कभी भी अभियान नहीं चलाया जाता है। जिससे समस्या और बढ़ने के अलावा कम नहीं हो रही है। जबकि शहरी इलाकों में बन्दरों और कुत्तों की संख्या अधिक है, लेकिन नगरपालिका के पास इन जानवरों की संख्या का भी आंकड़ा नहीं है, जब पालिका ही इस ओर गम्भीर नहीं है तो आम आदमी के लिए यह मुसीबत किसी बड़ी समस्या से कम नहीं है।

पालिका का दावा 25 हजार वसूला जुर्माना

नगरपालिका प्रशासन ने आवारा सुअरों से निजात दिलाने के लिए करीब साल भर पहले अभियान चलाया था। जिसमें करीब 50 सुअरों को पकड़ा गया था। प्रत्येक पशु पर 500 रुपए जुर्माना लगाकर करीब 25 हजार रुपए वसूला गया था। इसके बाद उन सुअरों को छोड़ दिया गया था। तब से आज तक अभियान नहीं चलाया गया है।

जानवरों को पकड़ने के लिए नहीं है साधन

पालिका में कैटिल दस्ता ही नहीं बना है। तब कैटिल दस्ते में गाड़ियां होने का सवाल ही नहीं है। पालिका प्रशासन ने दो साल पहले अभियान चलाया था। इसके बाद से आज तक अभियान ही नहीं चलाया गया है। न ही कोई जानवर पकड़े गए है।

प्रस्तावित है कांजी हाउस

नगरपालिका में आवारा जानवरों को पकड़ने के लिए कांजी हाउस बनना प्रस्तावित है। अभी तक कांजी हाउस बनकर तैयार नहीं हो पाया है। कांजी हाउस के लिए शांतीनगर में जमीन की व्यवस्था की गई है। लेकिन शासन से बजट न मिलने की वजह से कांजी हाउस नहीं बन पा रहा है। इस वजह से पालिका भी आवारा जानवरों को पकड़ने के लिए गंभीर नहीं है।

आवारा जानवरों को पकड़ने के लिए नहीं खर्च हुआ रुपया

शहरी क्षेत्र में टहल रहे अवारा जानवरों को पकड़ने के लिए पालिका की ओर से अभियान नहीं चलाया गया है। न ही आवारा जानवरों को पकड़ने के लिए रुपए खर्च किए गए है। हालाकि आवारा जानवरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। लेकिन पालिका के पास आवारा जानवरों की संख्या नहीं है।

इन मोहल्लों में है अधिक बंदर

रेलबाजार

पुरानी तहसील के पास

हरिहरगंज

देवीगंज

पुलिस लाइन

गंगानगर

आबूनगर

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