अकादमिक रिसोर्स पर्सन की तैनाती पर ‘प्रेरणा का साया!
शैक्षिक गुणवत्ता को धार देने एवं छात्रों के लर्निंग आउटकम्स में सुधार लाने के लिए अकादमिक रिसोर्स पर्सन की तैनाती के लिए आवेदकों का टोटा पड़ सकता है। सूत्र बताते हैं कि चूंकि एआरपी को भी बीईओ की भांति...
शैक्षिक गुणवत्ता को धार देने एवं छात्रों के लर्निंग आउटकम्स में सुधार लाने के लिए अकादमिक रिसोर्स पर्सन की तैनाती के लिए आवेदकों का टोटा पड़ सकता है। सूत्र बताते हैं कि चूंकि एआरपी को भी बीईओ की भांति प्रेरणा ऐप के जरिए शैक्षिक संवर्द्धन एवं सपोर्ट करना होगा। इस कारण अंदरखाने इसका विरोध शुरू हो गया है। शिक्षकों का तर्क है कि हम प्रेरणा ऐप का विरोध कर रहे हैं तो हम उस पद पर क्यों जाना चाहेंगे जिसमें हमे इस ऐप का संचालन करना पड़े। इसके लिए सोशल मीडिया मंे भी चर्चाओं का दौर शुरू है।
शासन ने पिछले दिनों एक शासनादेश जारी कर एबीआरसीसी और एनपीआरसीसी जैसे पदों को समाप्त कर इनके स्थान पर प्रत्येक ब्लॉक मंे 6 अकादमिक रिसोर्स पर्सन(एआरपी) नियुक्त करने का फैसला किया है। एक माह के भीतर एबीआरसीसी एवं एनपीआरसीसी की मूल विद्यालयांे मंे वापसी के साथ ही एआरपी की तैनाती का लक्ष्य रखा गया है। दूसरे जिलों मंे एबीआरसीसी व एनपीआरसीसी की मूल विद्यालयों मंे वापसी के साथ ही एआरपी के चयन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। इस स्थिति मंे जिले के शिक्षकों मंे एआरपी को लेकर बहस छिड़ गई है। शिक्षक संघों के नेताओं एवं आम शिक्षकों मंे इस तथ्य पर चर्चा है कि एआरपी को प्रेरणा ऐप के द्वारा अपना कर्तव्य निर्वहन करना होगा। चूंकि एआरपी पद पर शिक्षकों को ही चयनित किया जाएगा इस कारण आवेदन कैसे किया जाए। तर्क दिया जा रहा है कि चूंकि सभी शिक्षक प्रेरणा ऐप का विरोध कर रहे हैं तो वर्तमान परिस्थितयों में एआरपी पद पर चयनित होने के लिए आवेदन क्यों किया जाए। जल्द ही जिले मंे भी एआरपी चयन की प्रक्रिया शुरू होने वाली है।