बगैर लाइसेंस नाक के नीचे चल रहीं 17 ट्रेवेल्स एजेंसियां
कन्नौज बस हादसे से पूरा सूबा दहल गया, आरटीओ अफसरों ने उफ नहीं किया। दर्दनांक घटनाओं पर उसकी संवेदनाएं उन्हें झझकोरी तो नाके के नीचे बिना लाइसेंस के संचालित ट्रैवल्स एजेंसियों पर शिकंजा करने की कवायद...
कन्नौज बस हादसे से पूरा सूबा दहल गया, आरटीओ अफसरों ने उफ नहीं किया। दर्दनांक घटनाओं पर उसकी संवेदनाएं उन्हें झझकोरी तो नाके के नीचे बिना लाइसेंस के संचालित ट्रैवल्स एजेंसियों पर शिकंजा करने की कवायद करती। यहीं एजेंसिंया टूरिस्ट की परमिट पर डग्गामारी कर दर्दनांक हादसों की वजह बनते हैं। राजनीतिक संरक्षण और ऊंची पकड़ पर करोड़ों के राजस्व चोरी करने वाली ट्रेवेल्स एजेसिंया खुले आम पूरे सिस्टम को चुनौती देती नजर आ रही हैं।
जिले के तीन स्थानों पर 34 ट्रेवेल एजेंसियां सिस्टम के बलबूते संचालित हैं। जिसमें अकेले 17 शहर में हैं। इन ट्रेवेल्स एजेंसी की मनमानी का आलम यह है कि यात्रियों की जान की परवाह किए बगैर ही मानक विहीन खटारा बसों को भी सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है। विभागीय मिली भगत से ट्रेवेल एजेंसी संचालक अपना परमिट तो टूरिस्ट का बनवाते हैं लेकिन प्रतिदिन विभिन्न प्रदेशों के लिए सैकड़ो सवारियों को लाने ले जाने का काम किया जाता है। बताते हैं कि इन डग्गामार बसों में कई डबल डेकर बसें भी शामिल हैं जिससे जिले से अहमदाबाद, नागपुर, बड़ौदा, राजकोट, सूरत, जबलपुर, कटनी, कोटा, चित्तौड़गढ, उदयपुर, हिम्मतपुर, इंदौर आदि स्थानों के लिए सवारियों को प्रतिदिन लाया ले जाया जाता है। इन ट्रेवेल एजेंसियों के लिए कोई भी जिम्मेंदार जबाव नही दे पा रहा है। जिससे रोड़वेज के अलावा परमिट न बनवाए जाने के चलते राजस्व का करोड़ों का चूना इन ट्रेवेल एजेंसी संचालकों द्वारा लगाया जा रहा है। एआरटीओ के अनुसार यहां पर कोई भी ट्रेवेल ऐजेंसी का संचालन नहीं किया जाता जबकि अधिकारियों की नाक के नीचे ही शहर में 17 ट्रेवेल एजेंसी प्रतिदिन गैर प्रांतों की सवारियों को लाने ले जाने का काम कर रही है।