लहंगों की दुनिया दीवानी, हुनरमंद कमजोर
फर्रुखाबाद। संवाददाता सुई और रेशम के धागों की बेजोड़ कारीगरी देश ही नही विदेशों...
फर्रुखाबाद। संवाददाता
सुई और रेशम के धागों की बेजोड़ कारीगरी देश ही नही विदेशों में चमक बिखेर रही है। जरदोजी के सितारों में चमक बिखेरने वाले कारीगरो के हाथ कमजोर होते जा रहे है। कोरोना लॉक डाउन के बाद से सैकड़ो कारीगरों ने काम छोड़ दिया जो वापस नही लौटे है जिससे जरदोजी कारोबार पर बड़ा असर पड़ रहा है। जरदोजी कारोबार किसी पहचान का मोहताज नही है।
जरदोजी लहंगों और अन्य ड्रेसों ने विश्वपटल पर फर्रुखाबाद को नई पहचान दी है। जरदोजी कला के दीवाने देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया मे हैं। ये बात अलग है कि स्थानीय स्तर पर इस कला को अपनाने वाले हुनरमंद मुफलिसी में रहने को मजबूर होते रहे हैं। इससे कारीगरों को घर चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बैसे अपना जिला कई मायनों में ऐतिहासिक रहा है। ऋषियों, मुनियों की तपोभूमि के रूप में इसकी पहचान रही है। इसके साथ यहां के हुनरमंद हाथों ने अपनी कला के बूते दुनियाभर में धाक जमाई है। जिले में जरदोजी से तैयार उत्पादों को देश के साथ कई विदेशी मुल्कों में सराहा जाता है। प्रदेश सरकार ने इस कला को बढ़ावा देने के लिए इसको एक जिला एक उत्पाद में चयन किया है। लेकिन प्रशासन की कमजोर कोशिश के चलते जरदोजी कारीगरों के हाथों को मजबूत नही किया जा सका है। इसलिए इससे जुड़े कारीगर अब काम छोड़ने को मजबूर हो रहे है। कारीगर बताते है वह लोग उसी नेता को चुनकर भेजेंगे जो उनकी बात करेगा और उनके भविष्य के लिए कुछ करेगा। इस चुनाव में कमजोर होते कारीगरों का मुद्दा भी प्रमुख रहने वाला है।