नदियों का जलस्तर अभी भी मचाए है आफत
गंगा और रामगंगा नदियों का जलस्तर अभी भी तटीय इलाकों में तबाही मचाए है। जलस्तर दो दिन से स्थिर होने की वजह से कटान इस कदर हो रहा है कि तटीय इलाकों के लोग बाढ़ के कटान से भयभीत हैं। बांधों से पानी की...
गंगा और रामगंगा नदियों का जलस्तर अभी भी तटीय इलाकों में तबाही मचाए है। जलस्तर दो दिन से स्थिर होने की वजह से कटान इस कदर हो रहा है कि तटीय इलाकों के लोग बाढ़ के कटान से भयभीत हैं। बांधों से पानी की मात्रा कम कर दी गई है इससे सैलाव से राहत मिलने की उम्मीद लगाई जा रही है। हालांकि बाढ़ के बाद जिस प्रकार की दुश्वारियां होंगी उसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। बुधवार को गंगा नदी का जलस्तर 136.80 मीटर पर स्थिर रहा। जो कि चेतावनी बिंदु से 20 सेंटीमीटर ऊपर है। रामगंगा नदी का जलस्तर भी 136.5 मीटर पर दर्ज किया गया। जो कि चेतावनी बिंदु से 55 सेंटीमीटर कम है। नरौरा बांध से गंगा नदी में 55137, हरिद्वार से 41247, बिजनौर से 35614 क्यूसेक पानी पास किया गया। हरेली, खो और रामनगर बैराज से रामगंगा नदी में 10478 और कालागढ़ बैराज से 3301 क्यूसेक पानी पास किया गया। बांधों से पानी की मात्रा घटा दी गई है। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि कुछ समय में सैलाव से राहत मिलेगी। गंगापार के पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों में सैलाव का दबाव जहां कम हुआ तो वहीं कटान दहशत मचाए है। रामगंगा नदी गांव की ओर जोरदाारी से टक्कर से मार रही हैं इससे लोगों की चिंता है। कोलासोता, नहरैया, निसवी आदि गांव में बिलकुल नजदीक से यह नदी जा रही है। गंगा नदी भी तेजी के साथ कटान कर रही हैं। गंगा नदी के निकटवर्ती गांव में खेती भी नदियों की चपेट में जा रही है। इससे लोगों की मुसीबत बढ़ती जा रही है। गांवों के लोग इस बात से परेशान हैं कि आखिरकार उन्हें कब बाढ़ की दुश्वारियों से मुक्ति मिलेगी। शमसाबाद तराई क्षेत्र के कमथरी, पैलानी दक्षिण, इस्लामनगर, कैलियाई, जटपुरा, भगवानपुर, नगला बसोला समेत कई गांव में बाढ़ का दबाव कम हुआ है। मगर पानी अभी भी गांव की गलियों में भरा है। लोग अभी भी दलदल से निकल रहे हैं। सड़कों पर भी पानी कम है मगर चलने लायक सड़कें नहंी हैं।